किस देश से कितने भारतीयों को बाहर निकाला गया
सबसे अधिक सऊदी अरब से 12 महीनों में 11,000 लोगों को निर्वासित किया गया। इसके बाद अमेरिका से एक साल में 3,800 भारतीयों को बाहर निकाला गया जिनमें ज्यादातर प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी थे। लेकिन ये संख्या पिछले पांच वर्षों में अमेरिका से दर्ज की गई सबसे अधिक संख्या है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण ट्रंप प्रशासन द्वारा हाल ही में की गई सख्ती और दस्तावेजों, वीजा स्थिति, कार्य प्राधिकरण, तय समय से अधिक प्रवास आदि की कड़ी जांच है। वाशिंगटन डीसी से 3414 तो ह्यूस्टन से 234 निकाले गए। अन्य देशों की बात करें तो म्यांमार से (1,591), यूएई से (1,469), बहरीन से (764), मलेशिया से (1,485), थाईलैंड से (481) और कंबोडिया से (305) भारतीयों को बाहर निकाला गया।
| देश | कितने भारतीयों को निकाला |
| सऊदी अरब | 11000 |
| अमेरिका | 3800 |
| म्यांमार | 1591 |
| मलेशिया | 1485 |
| यूएई | 1469 |
| बहरीन | 764 |
| थाईलैंड | 481 |
| कंबोडिया | 305 |
| ब्रिटेन | 170 (छात्र) |
आखिर कारण क्या रहा
यह खाड़ी देशों में आम बात है, जहां से भारत से बड़ी संख्या में श्रमिक पलायन करते हैं। ये श्रमिक या तो निर्माण क्षेत्र में मजदूर के रूप में काम करते हैं, देखभालकर्ता बनते हैं या घरेलू नौकर के रूप में काम करते हैं।
तेलंगाना सरकार की अनिवासी प्रवासी सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष भीमा रेड्डी ने कहा कि इनमें से अधिकांश कम कुशल श्रमिक हैं जो एजेंटों के माध्यम से पलायन करते हैं और कई मामलों में अतिरिक्त पैसा कमाने की कोशिश में छोटे-मोटे अपराधों में शामिल हो जाते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि अन्य मामलों में, स्थानीय कानूनों और नियमों के बारे में जागरूकता की कमी महंगी साबित होती है।
श्रमिकों को विदेशी धरती पर पहुंचने से पहले नियमों की जानकारी देना जरूरी
तेलंगाना ओवरसीज मैनपावर कंपनी की नागा भरानी ने कहा कि इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि श्रमिकों को विदेशी धरती पर पहुंचने से पहले नियमों के बारे में जानकारी दी जाए। उन्होंने कहा कि लोगों को अपने वीजा की समयसीमा पर बारीकी से नजर रखने और स्थानीय नियमों का पालन करने के लिए कहा जाना चाहिए। वीजा विस्तार के लिए आवेदन करने का विकल्प हमेशा मौजूद रहता है।
भारतीय छात्रों को सबसे अधिक ब्रिटेन से बाहर निकाला
भारतीय छात्रों को सबसे अधिक संख्या में ब्रिटेन से वापस भेजा गया, जहां 2025 में 170 छात्रों को स्वदेश भेजा गया। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया (114), रूस (82) और अमेरिका (45) का स्थान रहा।














