• National
  • असम को ‘बांग्लादेश’ में मिलाने का 1946 का प्लान क्या था? PM के निशाने पर कांग्रेस

    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा के बीच असम के इतिहास को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे पुरानी बहस नए सिरे से छिड़ गई है। पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, वह उस दौर की बात है, जब अंग्रेज स्वतंत्रता से ठीक पहले


    Azad Hind Desk अवतार
    By Azad Hind Desk दिसम्बर 23, 2025
    Views
    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement
    नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों खासकर हिंदुओं के खिलाफ जारी हिंसा के बीच असम के इतिहास को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिससे पुरानी बहस नए सिरे से छिड़ गई है। पीएम मोदी ने जो कुछ कहा है, वह उस दौर की बात है, जब अंग्रेज स्वतंत्रता से ठीक पहले भारत विभाजन की साजिशें रच रहे थे। इसके लिए लंदन से एक कैबिनेट मिशन खास तौर पर भारत आया हुआ था और वह अनकहे तौर पर ये तय करने में जुटा था कि अखंड भारत का कौन सा हिस्सा भारत का हिस्सा रहेगा और कौन पाकिस्तान को मिलेगा। यह 1946 की घटना है, जिसके तहत असम को पूर्वी पाकिस्तान (1971 में बांग्लादेश बन गया) में शामिल करने की साजिश रची गई थी, लेकिन असम से भारी विरोध के चलते यह नहीं हो सका।

    1946 का कैबिनेट मिशन प्लान

    द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश सरकार ने अपने तीन कैबिनेट मंत्रियों को 24 मार्च, 1946 को भारत भेजा। कहने के लिए यह मिशन भारत को सेल्फ-गवर्नेंस के लिए प्रेरित करने आया था, लेकिन इसके इरादे खतरनाक थे और यही आगे चलकर देश विभाजन में तब्दील हुए। वैसे 1946 में इनकी योजना का सैद्धांतिक रूप से तीन आधार था, जो ब्रिटिश इंडिया के फ्रेमवर्क में होने थे। पहले में शीर्ष पर एक फेडरल यूनियन की व्यवस्था होनी थी। निचले स्तर पर स्वायत्त प्रांतों का गठन होना था; और बीच में प्रांतों के समूह बनाए जाने का प्रस्ताव था। उनके प्रस्ताव में इस ग्रुप में पूर्वी प्रांतों के समूह में असम और बंगाल को रखा गया था। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस सैद्धांतिक तौर पर फेडरल ढांचे के पक्ष में थी, लेकिन पूरी तरह से इन प्रस्तावों पर सहमत नहीं थी। अलबत्ता मुस्लिम लीग ने इसे स्वीकार कर लिया था।

    असम ने फेल किया अंग्रेजों का प्लान

    असम तक अंग्रेजों के इरादों की भनक जैसे ही पहुंची, वहां के सीएम गोपीनाथ बोरदोलोई ने असम को बंगाल के साथ जोड़ने का तत्काल विरोध शुरू कर दिया और ऐसा न होने देने की कसम खा ली। उन्होंने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को असम की इस भावना से अवगत कराने के लिए प्रदेश कांग्रेस के दो नेताओं विजयचंद्र भगवती और महेंद्र मोहन चौधरी को गांधीजी के पास भेजकर साफ शब्दों में एक तरह से इस योजना को खारिज करने का अल्टीमेटम दे दिया और बता दिया कि ‘विरोध दर्ज कराना चाहिए और संविधान सभा से हट जाना चाहिए।’

    नेहरू भी समझे असम की भावना

    उधर जवाहर लाल नेहरू को लगा कि कैबिनेट मिशन प्लान के बहाने अंग्रेज जिन्ना का चेहरा बचाने की कोशिश कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार इसके बाद उन्होंने भी असम पर कुछ भी थोपने का विरोध किया। 10 जुलाई, 1946 को एक चर्चित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बॉम्बे में उन्होंने असम को बंगाल के साथ जोड़ने के बारे में कहा, ‘इसकी पूरी संभावना है कि असम, बंगाल के साथ जुड़ने के विरोध में फैसला करेगा…मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता हूं कि आखिरकार वहां पर कोई भी ग्रुपिंग नहीं होने जा रही है, क्योंकि असम इसे किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगा, चाहे परिस्थितियां कुछ भी हों…।’

    असम को लेकर पीएम मोदी ने क्या कहा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में गुवाहाटी में कांग्रेस पर घुसपैठियों से हाथ मिलाकर असम की पहचान मिटाने का आरोप लगाया है। पीएम मोदी ने दावा किया है, कांग्रेस इस तरह के हथकंडे में आजादी से पहले से ही जुटी हुई है। प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया, ‘..जब मुस्लिम लीग और ब्रिटिश शासन मिलकर भारत विभाजन का आधार तैयार कर रहे थे, उसी समय असम को अविभाजित बंगाल या पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का हिस्सा बनाने की भी योजना बनाई गई थी। कांग्रेस इस साजिश का हिस्सा बनने वाली थी।’ मोदी ने असम के पहले मुख्यमंत्री गोपीनाथ बोरदोलोई की सराहना करते हुए कहा कि उन्हीं की वजह से असम, पूर्व पाकिस्तान का हिस्सा बनने से बच गया।

    ‘बोरदोलोई ने असम को बचा लिया’

    पीएम मोदी ने कहा, ‘..तब बोरदोलोई अपनी ही पार्टी के विरोध में खड़े हो गए। उन्होंने असम की पहचान मिटाने की साजिश का विरोध किया और असम को देश से विभाजित होने से बचा लिया।’ पीएम मोदी ने बोरदोलोई के नाम पर बने देश के पहले नेचर-थीम्ड एयरपोर्ट के उद्घाटन के बाद हुई रैली में यह बात कही। इस दौरान उन्होंने बोरदोलोई की 80 फीट की प्रतिमा का भी अनावरण किया और उन्हें असम का रक्षक बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद कांग्रेस ने ‘असम-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी काम’ शुरू कर दिया, ‘अपना वोट बैंक बढ़ाने के लिए कांग्रेस ने बंगाल और असम में घुसपैठियों को खुली छूट दी। यहां की डेमोग्राफी बदल गई है। घुसपैठियों ने हमारे जंगल हड़प लिए। उन्होंने हमारी जमीन हड़प ली। इसके परिणामस्वरूप पूरे असम की सुरक्षा और पहचान खतरे में पड़ गई है।’

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    हर महीने  ₹199 का सहयोग देकर आज़ाद हिन्द न्यूज़ को जीवंत रखें। जब हम आज़ाद हैं, तो हमारी आवाज़ भी मुक्त और बुलंद रहती है। साथी बनें और हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा दें। सदस्यता के लिए “Support Us” बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    ये आर्टिकल आपको कैसा लगा ? क्या आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे ? आपका सुझाव और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।