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  • आतंकियों का नया हथियार बन रहा AI, अमेरिका जैसी महाशक्ति भी चिंतित, जानें क्यों है खतरे की बात?

    दुनिया भर में लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का फायदा उठाने में लगे हैं। इसी बीच उग्रवादी समूह भी इस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के जानकारों और खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि उग्रवादी संगठनों के लिए एआई नए लोग भर्ती करने, फेक तस्वीरें-वीडियो बनाने और साइबर हमलों को और


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 16, 2025
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    दुनिया भर में लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI का फायदा उठाने में लगे हैं। इसी बीच उग्रवादी समूह भी इस तकनीक का प्रयोग कर रहे हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा के जानकारों और खुफिया एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि उग्रवादी संगठनों के लिए एआई नए लोग भर्ती करने, फेक तस्वीरें-वीडियो बनाने और साइबर हमलों को और एडवांस बनाने का मजबूत हथियार बन सकता है। इससे खतरे बढ़ सकते हैं। चलिए, जान लेते हैं कि आतंकी संगठनों के लिए एआई कैसे एक नया हथियार बन चुका है?

    आतंकी संगठन ने एआई का इस्तेमाल करने को कहा

    द हिंदू की रिपोर्ट (Ref.) के मुताबिक, नवंबर 2025 में एक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) की समर्थक वेबसाइट पर एक व्यक्ति ने अंग्रेजी में लिखा कि एआई को अपने काम में शामिल करें। उसने कहा कि एआई की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है। उसने आगे लिखा कि कुछ खुफिया एजेंसियां डरती हैं कि एआई से भर्ती आसान हो जाएगी, तो उनके इस डर को हकीकत बना दो। आईएस पहले इराक और सीरिया में इलाका कब्जा कर चुका था, अब यह अलग-अलग उग्रवादी समूहों का गठबंधन है जो हिंसक विचार साझा करते हैं। ये लोग पहले सोशल मीडिया से भर्ती और गलत जानकारी फैलाने में माहिर हो गए थे, इसलिए एआई का प्रयोग करना उनके लिए नया नहीं है।

    एआई से दुश्मन का काम आसान हुआ

    पैसे और संसाधनों की कमी वाले छोटे उग्रवादी समूह या अकेला शख्स भी इंटरनेट कनेक्शन से एआई का इस्तेमाल कर सकता है। इससे वे बड़े पैमाने पर प्रोपेगेंडा या झूठी तस्वीरें-वीडियो बना सकते हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी के सीईओ जॉन लालिबर्टे ने कहा कि एआई से किसी भी दुश्मन के लिए काम आसान हो जाता है। छोटा समूह भी बिना ज्यादा पैसे के बड़ा असर डाल सकता है। चैटजीपीटी जैसे प्रोग्राम आने के बाद से उग्रवादी समूह एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। वे असली जैसे फोटो और वीडियो बना रहे हैं।

    एआई से फैला रहे नफरती बातें

    साइट इंटेलिजेंस ग्रुप के रिसर्चर्स के मुताबिक, आईएस ने अपने लीडर्स की ऑडियो रिकॉर्डिंग बनाईं जिनमें कट्टर बातें कही गईं। साथ ही संदेशों को कई भाषाओं में तेजी से अनुवाद करने के लिए एआई का इस्तेमाल किया। ये समूह चीन, रूस या ईरान से पीछे हैं और एआई के बड़े इस्तेमाल को अभी सपना ही मानते हैं। लेकिन सस्ती और मजबूत एआई के फैलने से खतरे बढ़ेंगे। हैकर्स पहले से झूठी ऑडियो-वीडियो से लोगों को धोखा दे रहे हैं। एआई से हमलों का कोड लिखना आसान हो जाता है। सबसे बड़ा डर यह है कि उग्रवादी समूह हथियार बनाने में एआई की मदद ल सकते हैं। इस साल अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग की रिपोर्ट में इस खतरे का जिक्र था।

    अमेरिकी सांसदों का प्रस्ताव

    आईएस ने पहले ट्विटर का अच्छा इस्तेमाल किया था। अब ये लोग नई तकनीक ढूंढ रहे हैं। अमेरिकी सांसदों ने कई प्रस्ताव रखे हैं। सीनेटर मार्क वार्नर ने कहा कि एआई बनाने वाली कंपनियों को बुरे लोगों के इस्तेमाल की जानकारी साझा करना आसान बनाना चाहिए। हाल में सुनवाई में पता चला कि आईएस और अल-कायदा ने अपने समर्थकों को एआई सिखाने के लिए ट्रेनिंग भी दी।

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