ओमान की ओर से भारत के हलाल सर्टिफिकेशन को मान्यता देने से कई फायदे होंगे। इससे बार-बार टेस्टिंग और सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही, खर्च कम होगा और भारतीय निर्यातकों के लिए बाजार में पहुंच आसान हो जाएगी। गोयल ने कहा, ‘हम इस बात पर जोर देंगे कि केवल आधिकारिक तौर पर स्वीकृत हलाल सर्टिफिकेशन ही माना जाए। यह एक सही और प्रक्रिया-आधारित हलाल सर्टिफिकेशन है। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान एक औपचारिक और आधिकारिक हलाल सर्टिफिकेशन प्रक्रिया के जरिए हो, न कि उन अनियमित तरीकों से जो दशकों से चले आ रहे हैं।’
पहले, कई निजी संस्थाएं हलाल सर्टिफिकेट जारी करती थीं, जिन्हें सरकार की मंजूरी नहीं थी। मार्च 2023 में, DGFT ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत, सर्टिफिकेशन केवल क्वालिटी काउंसिल ऑफ इंडिया की ‘इंडिया कन्फॉर्मिटी असेसमेंट स्कीम (i-CAS) हलाल’ के तहत और मान्यता प्राप्त एजेंसियों की ओर से जारी होने पर ही मान्य होगा। अक्टूबर 2024 की एक नोटिफिकेशन में कम से कम 15 देशों की सूची दी गई थी जहां हलाल मांस और मांस उत्पादों के सर्टिफिकेशन की आवश्यकता होती है। इनमें ओमान, यूएई, बांग्लादेश, तुर्किये, फिलीपींस और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं।
भारत के लिए क्यों है फायदेमंद?
यह नया कदम भारतीय मांस निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर लेकर आया है। अब वे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी पैठ और मजबूत कर पाएंगे। सरकार की यह पहल भारत को वैश्विक हलाल मांस बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी। यह न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, बल्कि भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता को भी बढ़ावा देगा।














