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  • ऑस्ट्रेलिया नरसंहार से पहले फिलीपींस ही क्यों गये थे दोनों आतंकी बाप-बेटे? एशिया के इस्लामिक ‘आतंकी एकेडमी’ की कहानी

    मनीला: ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर किए गये आतंकवादी हमले में फिलीपींस ने पुष्टि कर दी है कि दोनों आकंकी बाप-बेटे ने भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा की थी। हैदराबाद पुलिस ने पुष्टि की है कि आतंकी घटना में शामिल शख्स भारतीय नागरिक है। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये दोनों बाप बेटे, यहूदियों के


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 17, 2025
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    मनीला: ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों पर किए गये आतंकवादी हमले में फिलीपींस ने पुष्टि कर दी है कि दोनों आकंकी बाप-बेटे ने भारतीय पासपोर्ट पर यात्रा की थी। हैदराबाद पुलिस ने पुष्टि की है कि आतंकी घटना में शामिल शख्स भारतीय नागरिक है। इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये दोनों बाप बेटे, यहूदियों के नरसंहार से पहले फिलीपींस क्यों गये थे? ऑस्ट्रेलिया के जांच अधिकारियों का कहना है कि आतंकी बाप-बेटे साजिद और नवीद अकरम ने उस द्वीप देश के दक्षिणी हिस्से की यात्रा की थी, जिसका इस्लामिक चरमपंथ का दर्दनाक इतिहास रहा है। शुरूआत में लग रहा था कि ये दोनों आतंकी पाकिस्तान के हैं, क्योंकि पाकिस्तान ही आतंकवाद का ग्लोबल हब है, जहां से दुनियाभर में आतंकवादियों की सप्लाई की जाती है, लेकिन ये भारतीय निकले।

    खुलासा हुआ है कि ये दोनों आतंकी बेटे आतंकवाद का आखिरी चैप्टर पढ़ने फिलीपींस गये थे। वो वहां एक महीने तक रहे, फिर वहां से निकलने के दो हफ्ते बाद, उन्होंने सिडनी के मशहूर बीच पर नरसंहार किया, जिस वक्त यहूदी समुदाय के लोग धार्मिक उत्सव मना रहे थे। ऑस्ट्रेलिया में कई दशकों के बाद ऐसा आतंकवादी हमला हुआ है और जांच में दोनों आतंकी बाप-बेटे के घर से इस्लामिक स्टेट का झंडा और कार से विस्फोटक मिले हैं।

    फिलीपींस में फैले आतंकवाद की कहानी
    पता चला है कि आतंकी हमले में शामिल नवीद अकरम की छह साल पहले ऑस्ट्रेलिया की घरेलू सुरक्षा एजेंसी ने सिडनी में मौजूद इस्लामिक स्टेट (IS) के एक आतंकवादी सेल से उसके करीबी संबंधों के लिए जांच की थी, लेकिन उस वक्त उसे खतरा नहीं माना गया था। लेकिन ऑस्ट्रेलियाई आतंकवाद विरोधी अधिकारियों का मानना है कि इन दोनों ने फिलीपींस में मिलिट्री जैसी ट्रेनिंग ली थी। पब्लिक ब्रॉडकास्टर ABC ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी है। वहीं, CNN ने एक्सपर्ट्स के हवाले से बताया है कि सालों में फिलीपींस में आतंकवाद कम हुआ है, लेकिन कई इस्लामिक आतंकवादी समूह, अभी भी दूरदराज के इलाकों में एक्टिव और हथियारों से लैस हैं। वे विदेशी लड़ाकों को ट्रेनिंग देते रहते हैं, जो लंबे समय से इस दक्षिण-पूर्वी एशियाई देश में आ रहे हैं।

    फिलीपीन इंस्टीट्यूट फॉर पीस, वायलेंस एंड टेररिज्म रिसर्च के चेयरमैन रोमेल बानलाओई ने सीएनएन की रिपोर्ट में कहा है कि “अल कायदा के दिनों से ही फिलीपींस को हमेशा एशिया में आतंकवाद की एकेडमी माना जाता रहा है, क्योंकि इसकी लोकेशन और मौजूदा आतंकवादी समूहों की ट्रेनिंग के लिए अच्छा माहौल तैयार करते हैं।”

    फिलीपींस के कौन से हिस्से में आतंकवाद है?
    फिलीपींस के दक्षिणी द्वीप मिंडानाओ, दशकों से इस्लामिक आतंकवाद का केंद्र रहा है। यहां अबू सय्याफ जैसे संगठनों की मौजूदगी रही है, जिनके अल-कायदा और बाद में इस्लामिक स्टेट से संबंध सामने आए। 2017 में माउंटे और अबू सय्याफ गुटों ने मारावी शहर पर कब्जा कर लिया था, जिससे पूरी दुनिया चौंक गई थी। महीनों चले सैन्य अभियान में शहर तबाह हो गया और लाखों लोग विस्थापित हुए। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि मिंडानाओ की ऐतिहासिक उपेक्षा, मजहबी विचारधारा, गरीबी, कमजोर शासन व्यवस्था और जटिल भूगोल ने इसे चरमपंथ के लिए उपजाऊ जमीन बना दिया।

    सीएनएन के मुताबिक, फिलीपींस को विदेशी आतंकियों के लिए आकर्षक बनाने वाले कई वजहें हैं। घने जंगल, पहाड़ी इलाके और लंबी तटरेखाएं ऐसे प्रशिक्षण शिविरों को छिपाने में मदद करती हैं, जहां कानून-व्यवस्था संभालने वालों की पहुंच सीमित होती है। देश की सीमाएं अपेक्षाकृत कमजोर हैं और देश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा जांच नहीं होती है। इसके अलावा, दशकों से मौजूद आतंकी नेटवर्क नए लोगों को शरण, फंडिंग और लॉजिस्टिक सहायता खुलकर देते हैं।

    फिलीपींस ने आरोपों को नकारा
    हालांकि बुधवार को फिलीपींस ने उन टिप्पणियों का कड़ा विरोध किया है, कि देश का इस्तेमाल आतंकवाद के प्रशिक्षण मैदान के रूप में किया गया हो सकता है। फिलीपींस के अधिकारियों ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं है कि साजिद अकरम और उसके बेटे नवीद, जिन्होंने सिडनी में हनुक्का उत्सव में सामूहिक गोलीबारी की थी, उन्हें फिलीपींस में रहने के दौरान किसी भी तरह का आतंकवादी प्रशिक्षण मिला था।

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