• National
  • ‘कड़ी कार्रवाई हो, संविधान से ऊपर कुछ नहीं’, मुफ्ती नदवी के बयान पर भड़के राजीव शुक्ला

    नई दिल्ली: देश में भगवान के अस्तित्व पर चल रही बहस के बीच, मुफ्ती शमाइल नदवी अपने एक विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। इस बयान में उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान गलत रास्ते पर चलते रहे हैं और उन्होंने हमेशा सेकुलर शासन और पार्टियों को अपने हित में समझा, जो


    Azad Hind Desk अवतार
    By Azad Hind Desk दिसम्बर 29, 2025
    Views
    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement
    नई दिल्ली: देश में भगवान के अस्तित्व पर चल रही बहस के बीच, मुफ्ती शमाइल नदवी अपने एक विवादास्पद बयान के कारण सुर्खियों में आ गए हैं। इस बयान में उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान गलत रास्ते पर चलते रहे हैं और उन्होंने हमेशा सेकुलर शासन और पार्टियों को अपने हित में समझा, जो कि सही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान हमेशा अपने दीन (धर्म) को संविधान से ऊपर रखते आए हैं, लेकिन ऐसा करना गलत था।

    इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। मौलाना नदवी के इस बयान का वीडियो शुजात अली कादरी ने एक्स पर शेयर किया था, जिसे रीपोस्ट करते हुए शुक्ला ने कहा कि इस मौलाना के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि संविधान से ऊपर कुछ भी नहीं है।

    नदवी ने क्या कहा?

    मुफ्ती शमाइल नदवी ने अपने बयान में कहा, ‘हम चाहते हैं कि हमारे मौजूदा हालात ठीक हो जाएं तो उसका हल किसी सियासी पार्टी में नहीं है बल्कि दीन में है। हमारा इस मुल्क में एप्रोच गलत रहा। हम यह कहते फिरते रहे कि हमारा वतन हमारे दीन से ज्यादा मुकद्दस है। हम यह कहते रहे कि सेकुलर निजाम हमारे दीन से ज्यादा बेहतर है। यह तय करते रहे कि फलां दरबार से फैसला हो जाएगा तो हम उसे स्वीकार कर लेंगे। क्या ऐसा किया जा सकता है। यदि किसी मामले में अल्लाह ने कोई फैसला कर लिया है तो यह जायज नहीं है कि उसकी बजाय हम किसी और की बात को मानें।’

    संविधान पर खड़े किए सवाल

    मुफ्ती शमाइल नदवी के इस बयान पर इसलिए आपत्ति जताई जा रही है क्योंकि उन्होंने संविधान और देश से ऊपर दीन को रखने की बात कही है। यह सवाल पहले भी उठता रहा है कि कुछ कट्टरपंथी मुसलमान देश से पहले अपने मजहब को क्यों रखते हैं। नदवी के बयान ने इस सवाल को फिर से खड़ा कर दिया है। मुस्लिम स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के चेयरमैन शुजात अली कादरी ने भी इस पर सवाल उठाया है।

    संविधान की मूल भावना के खिलाफ

    शुजात अली कादरी ने अपने एक्स पोस्ट में लिखा, ‘मौलाना नदवी का यह बयान भारत के संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। भारत का मुसलमान न तो हिन्दू राष्ट्र का समर्थक है और न ही वहाबी शरीयत के नाम पर किसी धार्मिक शासन का। हमारा रास्ता संविधान, लोकतंत्र और समान नागरिक अधिकार हैं। ऐसे बयान अनुच्छेद 14, 15, 19 और 25 की भावना के खिलाफ हैं और BNS धारा 196 और 197 के तहत दंडनीय हैं।’

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    हर महीने  ₹199 का सहयोग देकर आज़ाद हिन्द न्यूज़ को जीवंत रखें। जब हम आज़ाद हैं, तो हमारी आवाज़ भी मुक्त और बुलंद रहती है। साथी बनें और हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा दें। सदस्यता के लिए “Support Us” बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    ये आर्टिकल आपको कैसा लगा ? क्या आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे ? आपका सुझाव और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।