ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका से एलपीजी तभी भारत के लिए सस्ती पड़ती है, जब सऊदी CP के मुकाबले दाम में इतनी छूट हो कि शिपिंग का खर्चा निकल जाए। अमेरिका से शिपिंग का खर्चा सऊदी अरब से आने वाले शिपमेंट के मुकाबले लगभग चार गुना ज्यादा होता है। पिछले महीने, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने अमेरिका से सालाना 2.2 मिलियन मीट्रिक टन एलपीजी आयात करने के लिए एक साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया है। यह कॉन्ट्रैक्ट 2026 के लिए है।
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अभी कितनी है कीमत?
यह भारत के सालाना एलपीजी आयात का लगभग 10% हिस्सा है। इससे पहले भी भारतीय कंपनियों ने अमेरिका से एलपीजी खरीदा था, लेकिन वह स्पॉट मार्केट से था। यह पहली बार है जब उन्होंने अमेरिका से सप्लाई के लिए कोई टर्म कॉन्ट्रैक्ट किया है। सरकार तय करती है कि सरकारी कंपनियां एलपीजी किस कीमत पर बेचेंगी। जब कंपनियां बाजार भाव से कम कीमत पर बेचकर नुकसान उठाती हैं, तो सरकार उन्हें इसकी भरपाई करती है। अब नए फॉर्मूले से सब्सिडी की गणना में बदलाव आ सकता है।
दिल्ली में घरों में यूज होने वाले 14.2 किलो वाले एलपीजी सिलेंडर की कीमत अभी 853 रुपये है। इसमें आखिरी बार बदलाव 8 अप्रैल को हुआ था। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को 300 रुपये की सब्सिडी मिलती है। इसी तरह दिल्ली में 19 किलो वाले कमर्शियल एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1580.50 रुपये है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हर महीने की पहली तारीख को इसकी कीमत में बदलाव करती है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत अभी 62 डॉलर प्रति बैरल के आसपास चल रही है। भारत अपनी जरूरत की 60 फीसदी एलपीजी आयात करती है।















