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  • तुर्की के खिलाफ आए भारत के 3 दोस्‍त, इजरायल संग मिलकर बनाएंगे रैपिड-रिस्पॉन्स फोर्स, कैसे निपटेंगे एर्दोगन?

    तेल अवीव: तुर्की की मुश्किल आने वाले समय में क्षेत्र में बढ़ सकती है। खासतौर से पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की की सैन्य और रणनीतिक गतिविधियों को रोकने के लिए उसके तीन ‘दुश्मन’ एक साथ आए हैं। तुर्की के ये तीन विरोधी देश- ग्रीस, साइप्रस और इजरायल हैं। भारत के अच्छे सहयोगी माने जाने वाले


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 19, 2025
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    तेल अवीव: तुर्की की मुश्किल आने वाले समय में क्षेत्र में बढ़ सकती है। खासतौर से पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की की सैन्य और रणनीतिक गतिविधियों को रोकने के लिए उसके तीन ‘दुश्मन’ एक साथ आए हैं। तुर्की के ये तीन विरोधी देश- ग्रीस, साइप्रस और इजरायल हैं। भारत के अच्छे सहयोगी माने जाने वाले ये तीनों देश मिलकर रैपिड रिस्पॉन्स फोर्स बनाने पर काम कर रहे हैं। इस फोर्स में तीनों देशों के सैनिक होंगे, जो तुर्की आर्मी का मुकाबला करेंगे। ये फोर्स बनती है तो तुर्की के प्रेसीडेंट रेसेप एर्दोगन की मुश्किल बढ़ जाएगी, जो देश की सैन्य ताकत बढ़ाने पर काफी ध्यान दे रहे हैं।

    यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल, ग्रीस और साइप्रस के सीनियर अधिकारियों ने तीनों देशों की सेनाओं की यूनिट से एक रैपिड-रिस्पॉन्स फोर्स बनाने पर बैठक की है। यह पहल पूर्वी भूमध्य सागर में तुर्की की सैन्य और रणनीतिक गतिविधियों को रोकने के एक बड़े प्रयास का हिस्सा है। हालांकि यह सुरक्षा पहल अभी शुरुआती समीक्षा और प्लानिंग स्टेज में है।

    सैन्य सहयोग होगा मजबूत

    रिपोर्ट के मुताबिक, इस पहल का मकसद बढ़ते क्षेत्रीय तनाव के बीच तीनों देशों के बीच रणनीतिक सैन्य सहयोग को मजबूत करना है। यह फोर्स कोई स्थायी यूनिट नहीं होगी। इसे संकट के समय जमीन, समुद्र या हवा में जल्दी से तैनात किया जा सके। हाल के हफ्तों में इस विषय पर कई बैठकें हुई हैं। हालांकि अभी इस प्रस्ताव पर फाइनल मोहर लगना बाकी है।

    ग्रीस के प्रधानमंत्री क्यारीकोस मित्सोटाकिस और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड की अगले हफ्ते इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से बैठक होनी है। इस दौरान रैपिड फोर्स पर आगे बढ़ने को लेकर फाइनल बातचीत हो सकती है। प्रस्तावित 2,500 कर्मियों की यूनिट में ग्रीस और इजरायल से 1,000 सैनिक और साइप्रस से 500 सैनिक होंगे।

    तुर्की की लगी नजर

    तुर्की की नजर इन तीन देशों के सैन्य गठबंधन की संभावना पर लग गई हैं। तुर्की की कोशिश सीरिया में प्रभाव बढ़ाने की है। इसमें सीरियाई इलाके में विमानों और मिसाइलों को निशाना बनाने वाले एयर-डिफेंस सिस्टम की तैनाती शामिल है। तुर्की की गाजा पट्टी में मल्टीनेशनल फोर्स में शामिल होने की भी संभावना है।

    तुर्की एक नए समुद्री समझौते पर बातचीत करने की कोशिश में लीबिया की दोनों विरोधी सरकारों के साथ बातचीत कर रहा है। ऐसा कदम उसे उत्तरी और पूर्वी भूमध्य सागर के समुद्री क्षेत्र में प्रमुख खिलाड़ी बनने की इजाजत देता है। तुर्की की इस बढ़ती ताकत से इजरायल, ग्रीस और साइप्रस जैसे उसके विरोधी असहज हैं।

    इजरायल की कोशिश

    इजरायल ने हालिया वर्षों में ग्रीस और साइप्रस के साथ कई सैन्य अभ्यास किए हैं, जिसमें त्रिपक्षीय अभ्यास शामिल हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि भले ही तीनों देशों में कोई टास्क फोर्स अभी ना बने लेकिन त्रिपक्षीय अभ्यास जारी रहेंगे। यह तुर्की की बढ़ती ताकत और विरोधियों के लिए उसकी ओर से पैदा हो रही चुनौती की वजह से है।

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