हाल ही ‘द पावरफुल ह्यूमन्स’ को दिए एक इंटरव्यू में शक्ति कपूर ने कहा कि वह विनोद खन्ना से इंस्पायर्ड थे, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत नेगेटिव किरदारों से की थी और फिर बाद में लीड रोल निभाकर भी सफल हो गए थे। एक और एक्टर, जिन्होंने नेगेटिव रोल से लीड हीरो बनने की ओर सफल कदम बढ़ाया था, वह शाहरुख खान हैं। उन्होंने ‘अंजाम’ और ‘डर’ जैसी फिल्मों में ग्रे कैरेक्टर निभाए और फिर बॉलीवुड के हीरो के रूप में उभरे।
विनोद खन्ना से इंस्पायर होकर शक्ति कपूर बनना चाहते थे हीरो
शक्ति कपूर ने कहा, ‘जब विनोद खन्ना नेगेटिव रोल करते थे, तो वह मेरे फेवरेट विलेन थे। वह बहुत हेंडसम थे। मैंने ऐसी खूबसूरती पहले कभी नहीं देखी थी। मुझे पूरा यकीन था कि वो हीरो बनेंगे। उन्हीं से इंस्पायर होकर मैंने फिल्म ‘जख्मी इंसान’ में हीरो का किरदार निभाया। मुझे लगा कि मेरा चेहरा भी हीरो जैसा है और मैं भी लीड रोल का निभा सकता हूं।’
‘जख्मी इंसान’ में बने हीरो पर 15 मिनट में थिएटर्स से उतर गई फिल्म
शक्ति कपूर ने साल 1980 में आई फिल्म ‘जख्मी इंसान’ में काम किया था, लेकिन यह हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी फ्लॉप साबित हुई। शक्ति बोले, ‘फिल्म का नाम था ‘जख्मी इंसान’। इसने मुझे, प्रोड्यूसर, डायरेक्टर, डिस्ट्रीब्यूटर और दर्शकों को जख्मी कर दिया। यह रात 12 बजे सिनेमाघरों में लगी और 12:15 बजे हटा दी गई। 15 मिनट में उतर गई। वो फिल्म इतनी बड़ी हिट हुई थी कि उसके बाद मैंने कभी हीरो का किरदार निभाने की हिम्मत नहीं की।’
जिन किरदारों को ठुकराया, शक्ति कपूर को उन्हीं के लिए पड़ा था गिड़गिड़ाना
इससे पहले शक्ति कपूर ने कहा था कि ‘जख्मी इंसान’ के फ्लॉप होने के बाद उन्हें विलेन के उन किरदारों के लिए गिड़गिड़ाना पड़ा, जिन्हें वह पहले बेझिझक ठुकरा देते थे। उन्होंने कहा, ‘उससे पहले मैंने विलेन के रूप में अपने साथ काम करने वाले हर किसी से कहा था कि मैं अब ऐसे रोल नहीं करूंगा क्योंकि मैं अब हीरो बन गया हूं। फिल्म रिलीज होने के बाद मैं उन सभी के पास वापस गया और फिर से विलेन के रोल के लिए गिड़गिड़ाया।’
शक्ति कपूर बोले- अब विलेन का किरदार खत्म, हीरो हर रूप में
शक्ति कपूर का मानना है कि हिंदी सिनेमा में विलेन का किरदार लगभग खत्म हो चुका है। उन्होंने कहा, ‘पहले हीरो, खलनायक, हीरोइन, वैम्प और कॉमेडी किरदार हुआ करते थे। अब समय बदल गया है और आजकल मेल एक्टर्स हर तरह के किरदार निभा रहे हैं। उनके कई रूप देखने को मिलते हैं।’














