लीक दस्तावेजों के हवाले से सीएनएन-न्यूज 18 ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान सेना के आदेश पर पाकिस्तान के मीडिया संस्थान, डिजिटल प्लेटफॉराम और पाकिस्तान के मीडिया एनालिस्ट को तालिबान शासन को एक ‘अस्थिर शासन’ के तौर पर दिखाने के लिए कहा गया था। उन्हें हिदायत दी गई थी कि वो तालिबान की तारीफ ना करें और उसे एक अफगानिस्तान के स्थिर ताकत की तौर पर पेश ना करें। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना ने पाकिस्तान की स्थिति को कमजोर करने वाली मानी जाने वाली बातों के खिलाफ ज्यादा आक्रामक तरीके से जवाब देने के लिए कहा था।
कतर के खिलाफ पाकिस्तान का कैम्पेन
लीक दस्तावेजों से पता चला है कि पाकिस्तान की सेना का मानना है कि अल जजीरा ने पिछले एक साल में पाकिस्तान को राजनीतिक रूप से अस्थिर, उग्रवाद से ग्रस्त और अफगान शांति प्रयासों में नाकाम देश के तौर पर दिखाया है। पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग का आरोप है कि यह कवरेज निष्पक्ष पत्रकारिता नहीं, बल्कि कतर की विदेश नीति के मुताबिक एक सुनियोजित नैरेटिव है। दस्तावेजों में यह भी दावा किया गया है कि अल जज़ीरा की संपादकीय लाइन और कतर के कूटनीतिक रुख के बीच लगातार समानता देखी जा रही है, जिससे चैनल की तटस्थता और विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं। आपको बता दें कि मध्यस्थता बैठक के दौरान तालिबान नेताओं से जिस तरह से पाकिस्तान के सैन्य अधिकारियों ने बात की थी, उससे कतर काफी नाराज हुआ था।














