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  • ‘बुलडोजर से ध्वस्त किया गया’ राहुल गांधी ने दे डाली आंदोलन की चेतावनी, ‘VB–G RAM G’ को लेकर मोदी सरकार पर भड़के

    नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के नए कानून ‘ VB–G RAM G ‘ को ग्रामीण भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कानून मनरेगा का ‘सुधार’ नहीं, बल्कि ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों का दमन है। राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा कि मनरेगा एक


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 19, 2025
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    नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार के नए कानून ‘ VB–G RAM G ‘ को ग्रामीण भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कानून मनरेगा का ‘सुधार’ नहीं, बल्कि ग्रामीण मजदूरों के अधिकारों का दमन है। राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा कि मनरेगा एक ‘अधिकार-आधारित’ और ‘मांग-संचालित’ योजना थी, जिसे अब दिल्ली से नियंत्रित एक राशन योजना में बदल दिया गया है। राहुल गांधी ने सरकार पर कई आरोप लगाए हैं।

    उन्होंने पोस्ट में लिखा- कल रात, मोदी सरकार ने एक ही दिन में मनरेगा के बीस वर्षों को ध्वस्त कर दिया। VB–G RAM G मनरेगा का ‘कायाकल्प’ नहीं है। यह अधिकारों पर आधारित मांग-संचालित गारंटी को खत्म करता है और इसे एक राशन वाली योजना में बदल देता है जिसे दिल्ली से नियंत्रित किया जाता है। यह अपनी संरचना में ही राज्य-विरोधी और गांव-विरोधी है। मनरेगा ने ग्रामीण मजदूरों को सौदेबाजी की शक्ति दी थी। वास्तविक विकल्पों के साथ शोषण और संकटकालीन पलायन में गिरावट आई, मजदूरी बढ़ी, काम करने की स्थिति में सुधार हुआ, और साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे का निर्माण और पुनरुद्धार हुआ। यह बढ़त ही वह चीज है जिसे यह सरकार तोड़ना चाहती है।

    उन्होंने आगे लिखा- काम को सीमित करके और इसे मना करने के और अधिक रास्ते बनाकर VB–G RAM G उस एक साधन को कमजोर करता है जो ग्रामीण गरीबों के पास था। हमने देखा कि कोविड के दौरान मनरेगा का क्या मतलब था। जब अर्थव्यवस्था बंद हो गई और आजीविका खत्म हो गई, तो इसने करोड़ों लोगों को भूख और कर्ज में डूबने से बचाया। इसने महिलाओं की सबसे ज्यादा मदद की। साल दर साल महिलाओं ने आधे से ज्यादा कार्य-दिवसों में योगदान दिया है। जब आप नौकरियों के कार्यक्रम को राशन की तरह बांटते हैं तो महिलाएं, दलित, आदिवासी, भूमिहीन मजदूर और सबसे गरीब ओबीसी समुदाय सबसे पहले बाहर धकेले जाते हैं।

    उन्होंने संसद में मनरेगा नाम में बदलाव को बुलडोजर से जोड़ते हुए कहा- इन सबसे ऊपर इस कानून को बिना किसी उचित जांच-परख के संसद में ‘बुलडोजर’ की तरह चलाया गया। विधेयक को स्थायी समिति में भेजने की विपक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया। एक कानून जो ग्रामीण सामाजिक अनुबंध को फिर से लिखता है, जिससे करोड़ों श्रमिक प्रभावित होते हैं, उसे गंभीर समिति जांच, विशेषज्ञ परामर्श और सार्वजनिक सुनवाई के बिना कभी भी थोपा नहीं जाना चाहिए।

    उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा- पीएम मोदी के लक्ष्य स्पष्ट हैं- श्रम को कमजोर करना, ग्रामीण भारत, विशेष रूप से दलितों, ओबीसी और आदिवासियों की ताकत को कम करना, सत्ता का केंद्रीकरण करना और फिर नारों को ‘सुधार’ के रूप में बेचना। मनरेगा दुनिया के सबसे सफल गरीबी उन्मूलन और सशक्तिकरण कार्यक्रमों में से एक है। हम इस सरकार को ग्रामीण गरीबों की सुरक्षा की आखिरी पंक्ति को नष्ट नहीं करने देंगे। हम इस कदम को हराने के लिए श्रमिकों, पंचायतों और राज्यों के साथ खड़े होंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी मोर्चा बनाएंगे कि इस कानून को वापस लिया जाए।

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