10 दिनों दो बार भारतीय उच्चायुक्त तलब
भारत और बांग्लादेश में हालिया तनाव की गंभीरता को इससे समझा जा सकता है कि यूनुस सरकार ने पिछले 10 दिनों में दो बार भारतीय राजदूत को तलब किया है। भारत का पूर्वी पड़ोसी बांग्लादेश हाल ही में फैली अशांति के बाद तनाव से गुजर रहा है, जो इंकलाब मंच के नेता शरीफ उस्मानी हादी की मौत के बाद शुरू हुई थी। पिछले गुरुवार रात को शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान ढाका में भारी हिंसा हुई थी। इस दौरान खुलना में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन हुए थे और पथराव किया गया था।
भारत के जवाबी कदम से बौखलाया बांग्लादेश
हालांकि, बांग्लादेश ने वीजा सेवाओं को बंद करने के लिए कोई सही वजह नहीं बताई है, लेकिन इसे चटगांव से वीजा सेवाओं को सस्पेंड करने के लिए भारत के फैसले का जवाब माना जा रहा है। इससे पहले रविवार को बांग्लादेश में भारतीय उच्चायोग ने सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए इंडियन वीजा एप्लीकेशन सेंटर (IVAC) को बंद कर दिया था। IVAC ने एक बयान में बताया कि चटगांव में भारतीय वीजा ऑपरेशन 21 दिसम्बर 2025 से अगले आदेश तक निलंबित रहेंगे।
भारत ने भी वीजा सेवा की स्थगित
भारत ने वीजा सेवाओं को सस्पेंड करने का फैसला तब लिया, जब प्रदर्शनकारियों का एक समूह ने चटगांव में भारतीय सहायक उच्चायुक्त पर हमला करने की कोशिश की। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि उस्मान हादी पर हमला करने वाले भारत भाग गए। हालांकि, बांग्लादेश ने इस दावे को लेकर कोई सबूत नहीं पेश किए हैं। बांग्लादेशी अधिकारियों ने तो यहां तक कहा है कि उन्हें नहीं पता कि हादी के हत्यारें कहां हैं।
हालांकि, वीजा सस्पेंड होना समस्या का एक हिस्सा है। बांग्लादेश में उस्मान हादी की मौत के बाद दोनों देशों में गुस्सा है। पिछले सप्ताह बांग्लादेश के मैमनसिंह जिले में एक भीड़ ने हिंदू फैक्ट्री मजदूर दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या कर दी। दीपू पर पैगम्बर हजरत मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी का आरोप लगाया गया, लेकिन जांचकर्ताओं को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि पीड़ित ने ऐसा कुछ किया था।
दीपू चंद्र दास की मौत पर भारत में गुस्सा
दीपू के भाई ने अपू चंद्र दास ने कहा कि उनका परिवार डरा हुआ है। न्यूज 18 से उन्होंने कहा कि ‘अगर हमारे पास सुविधा होती तो हम अभी बांग्लादेश छोड़कर चले जाते। अगर हमें मदद मिले तो हम भारत जाना चाहेंगे।’ दीपू चंद्र दास की मौत को लेकर भारत में भी गुस्सा देखा गया है। सोमवार को कोलकाता में दीपू की हत्या को लेकर बांग्लादेश के मिशन के बाहर प्रदर्शन हुए। इसमें बीजेपी नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी भी शामिल हुए।
शेख हसीना को लेकर बांग्लादेश की मांग
इन सब घटनाक्रमों के बीच बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों में सुधार के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। बांग्लादेश में शेख हसीना विरोधी आंदोलन से निकले नेता भारत के खिलाफ लगातार जहरीली बयानबाजी कर रहे हैं। वहीं, यूनुस सरकार इन बयानों पर चुप्पी मारकर उन्हें मौन समर्थन दे रही है। भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हिंसा को लेकर चिंता जताई है, लेकिन यूनुस सरकार ने इसे आंतरिक मामला कहा है और नई दिल्ली से दखल न देने की अपील की है। भारत में शेख हसीना की मौजूदगी भी तनाव की वजह है। यूनुस सरकार ने भारत से शेख हसीना की टिप्पणियों को रोकने को कहा है। वहीं, इंटरनेशनल क्राइस ट्रिब्यूनल से मौत की सजा सुनाए जाने के बाद यूनुस सरकार ने भारत से शेख हसीना को सौंपने का अनुरोध किया है।














