गांव वालों ने किसान से कहा, भाई वाह! यह तो बड़ी खुशी की बात है। किसान ने फिर कहा, शायद है। दो-तीन दिन बाद एक जंगली घोड़े को काबू करने की कोशिश में किसान का जवान बेटा अपने हाथ-पैर तुड़वा बैठा। गांव वाले आकर बोले, आपका इकलौता जवान बेटा घायल हो गया। बड़े दुःख की बात है। किसान ने फिर कहा, शायद है। अगले दिन राजा के सैनिक गांव में आ गए। पड़ोसी देश से भारी युद्ध छिड़ गया था। रोज सैंकड़ों लोग मारे जा रहे थे, सेना कम हो रही थी, लिहाजा राज्य के सभी नौजवानों को अनिवार्य रूप से सेना में भर्ती किया जा रहा था।
गांव के सारे नौजवनों को सैनिक अपने साथ लेकर चले गए। किसान के बेटे के हाथ-पांव टूटे हुए थे, इसलिए सैनिक उसे छोड़ गए। गांव के लोगों ने किसान से कहा, हमारे बेटे तो फौज में गए। पता नहीं, जिन्दा लौटे भी या नहीं। तुम्हारा बेटा बच गया, खुशकिस्मती है, तुम्हारी। किसान ने कहा, शायद है। इस पर लोगों ने पूछा, तुम आखिर हर बात में शायद है क्यों कहते हो, तो उस किसान ने कहा, वह इसलिए कि आगे क्या होगा, यह कोई नहीं जानता। यह समय पर निर्भर है, क्योंकि समय ही बलवान है। समय ही सर्वोच्च सत्ता है जो सौभाग्य को दुर्भाग्य में और दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की क्षमता रखता है।















