जॉन वोइट को अंतरराष्ट्रीय पहचान 1969 की फिल्म ‘मिडनाइट काउबॉय’ से मिली। इस फिल्म में उनका किरदार ‘जो बक’ एक ऐसा युवक है, जो बड़े सपनों के साथ न्यूयॉर्क आता है, लेकिन धीरे-धीरे अकेलेपन, गरीबी और टूटे हुए आत्मविश्वास से जूझने लगता है। फिल्म का एक बेहद चर्चित दृश्य वह है, जब वो सड़क पर चलते हुए लोगों की बेरुखी और शहर की क्रूरता से अंदर ही अंदर टूटता नजर आता है। उस सीन में डायलॉग कम हैं, लेकिन आंखों, चाल और चेहरे के हाव-भाव से जॉन वोइट जो पीड़ा दिखाते हैं, वही उन्हें खास बनाती है।
जॉन वोइट का अभिनय अंदर से निकलता हुआ
यही शैली भारतीय सिनेमा में नसीरुद्दीन शाह और ओम पुरी के अभिनय में भी दिखती है। जैसे नसीरुद्दीन शाह की फिल्म ‘अर्ध सत्य’ में एक ईमानदार लेकिन टूटा हुआ पुलिस अफसर या ओम पुरी की ‘आक्रोश’ में भीतर से सुलगता किसान इन किरदारों में शब्दों से ज्यादा असर खामोशी और भावनाओं का होता है। जॉन वोइट का अभिनय भी इसी तरह अंदर से निकलता हुआ लगता है।
‘कमिंग होम,’ ‘हीट’ और ‘मिशन: इम्पॉसिबल’ जैसी फिल्मों में आए हैं नजर
एंजेलिना जोली के पिता, जॉन वोइट, ने अपने करियर में ‘कमिंग होम,’ ‘हीट’ और ‘मिशन: इम्पॉसिबल’ जैसी फिल्मों में भी अलग-अलग रंग दिखाए, लेकिन उनकी पहचान हमेशा ऐसे किरदारों से जुड़ी रही, जो समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की कहानी कहते हैं। यही वजह है कि उन्हें सिर्फ हॉलीवुड स्टार नहीं, बल्कि एक कैरेक्टर एक्टर की मिसाल माना जाता है।














