जिन मामलों और मुद्दों में न्यायिक फैसले पलटे गए, उनमें आवारा कुत्तों का खतरा, राज्य विधानमंडल से भेजे गए बिलों पर सहमति देने के संबंध में राज्यपाल की शक्ति, पटाखों पर बैन, पिछली तारीख से पर्यावरण मंजूरी, भूषण स्टील लिमिटेड का दिवालियापन, और आखिर में अरावली शामिल हैं।
उठे सवाल, क्या जल्दबाजी में दिए गए फैसले
दरअसल, जब हालात में कोई बदलाव नहीं होता, तब भी कम समय में एक बेंच के फैसले को दूसरी बेंच की तरफ से पलट देना शायद यह दिखाता है कि शुरुआती फैसले मामले से जुड़े सभी जरूरी मुद्दों का विश्लेषण किए बिना जल्दबाजी में दिए गए थे। यह किसी मामले का फैसला करते समय सिद्धांत-केंद्रित दृष्टिकोण के बजाय जज-केंद्रित दृष्टिकोण को भी दिखाता है।
आदेश देकर वापस लेने का ये भी एक मामला
भूषण स्टील केस में सुप्रीम कोर्ट ने 2 मई को इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत JSW स्टील की दिवालिया कंपनी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) के अधिग्रहण को रद्द कर दिया था। इसते साथ ही कर्ज में डूबी कंपनी के लिक्विडेशन का आदेश भी दिया था। 3 महीने बाद 31 जुलाई को कोर्ट ने इस आदेश को वापस ले लिया। 26 सितंबर को एक फैसला सुनाया, जिसमें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल के उस फैसले को बरकरार रखा गया, जिसमें JSW स्टील के BPSL को टेकओवर करने के 19,700 करोड़ रुपये के रिजॉल्यूशन प्लान को मंजूरी दी गई।
आवारा कुत्तों के मामले में भी मारी पलटी
आवारा कुत्तों के मामले में SC ने खुद संज्ञान लिया और 11 अगस्त को कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं और रेबीज से होने वाली मौतों को देखते हुए आवारा कुत्तों को पकड़ने और उन्हें शेल्टर होम में रखने के लिए कई निर्देश जारी किए। यह मामला एक हफ्ते के अंदर दूसरी बेंच को ट्रांसफर कर दिया गया और नई बेंच ने 22 अगस्त को आदेश में बदलाव करते हुए निर्देश दिया कि आवारा कुत्तों को स्टेरलाइज और वैक्सीनेट करने के बाद एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के तहत उनके इलाकों में छोड़ दिया जाना चाहिए और उन्हें शेल्टर होम में बंद नहीं किया जाना चाहिए।
तीन जजों की बेंच ने वापस लिया फैसला
वनशक्ति पिटीशन में भी ऐसा ही हुआ था, जब 16 मई को SC ने एनवायरनमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट के तहत एक्स पोस्ट फैक्टो (पिछली तारीख से) एनवायरनमेंटल क्लीयरेंस को गैर-कानूनी घोषित कर दिया था, लेकिन कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने 2:1 के बहुमत से नवंबर में उस आदेश को वापस ले लिया था। पहले की बेंचों द्वारा दिए गए आदेशों को पलटने वाली बेंचों पर चिंता जताते हुए, SC ने 26 नवंबर को दिए गए एक फैसले में इस बात का जिक्र किया और कहा कि वह इस बढ़ते ट्रेंड को दुख के साथ देख रहा है।















