मुनीर की 10 बार तारीफ कर चुके ट्रंप
यह इस साल जून के बाद से कम से कम 10वीं बार था जब ट्रंप ने सार्वजनिक रूप से पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की तारीफ की। सबसे खास घटना अक्टूबर में हुई, जब ट्रंप ने गाजा में इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते के समापन पर मिस्र में शर्म अल-शेख शांति शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। संघर्ष विराम में उनके प्रयासों के लिए दुनिया के नेताओं को धन्यवाद देते हुए, ट्रंप ने अपने पीछे खड़े पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को पहचाना, और फिर मुनीर का जिक्र करते हुए उन्हें “मेरे पसंदीदा फील्ड मार्शल” बताया।
ट्रंप ने मुनीर को क्या-क्या उपाधि दी है
साल की शुरुआत में कई अन्य मौकों पर, ट्रंप ने मुनीर को “एक महान योद्धा”, “एक बहुत महत्वपूर्ण व्यक्ति”, और “एक असाधारण इंसान” बताया था। जून में अपनी पहली मुलाकात के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख से मिलकर “सम्मानित” महसूस कर रहे हैं। यह किसी भी अन्य अमेरिकी राष्ट्रपतियों की तुलना में एक अजीब घटना है, जब उन्होंने किसी देश की नागरिक सरकार से इतर सेना प्रमुख को इतना महत्व दिया हो।
असीम मुनीर को इतना महत्व क्यों दे रहे ट्रंप
विश्लेषकों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप जानबूझकर अपने इगो को साधने के लिए पाकिस्तानी असीम मुनीर को इतना महत्व दे रहे हैं। दरअसल, ट्रंप ने इसी साल जनवरी में राष्ट्रपति के तौर पर दूसरा कार्यकाल संभाला। इसके बाद उन्होंने खुद को शांति का मसीहा साबित करना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, ट्रंप ने इसके लिए खुद को शांति का नोबेल पुरस्कार भी देने की सार्वजनिक मांग करनी शुरू कर दी। ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के सहयोगी देशों पर दबाव भी बनाया कि वह ट्रंप की इस मुहिम का सार्वजनिक रूप से समर्थन करे और उन्हें नोबेल पुरस्कार के लिए नॉमिनेट करे।
पाकिस्तान ने किया था ट्रंप के दावे का समर्थन
इस बीच मई में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष शुरू हो गया। ऐसे में ट्रंप को एक बड़ा मौका दिखा कि अगर उन्होंने भारत-पाकिस्तान में संघर्षविराम कराने का श्रेय ले लिया और दोनों देशों ने इसकी पुष्टि कर दी, तब उनकी नोबेल पुरस्कार के लिए दावेदारी और मजबूत हो जाएगी। इस बीच 10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हो गया। पाकिस्तान की ओर से यह सूचना अमेरिका को दी गई और दोनों देशों की ओर से सार्वजनिक ऐलान करने से पहले ही ट्रंप ने सोशल मीडिया पर इसकी जानकारी दे दी। उन्होंने भारत-पाकिस्तान में संघर्षविराम कराने का श्रेय लिया और दोनों देशों पर इसका समर्थन करने के लिए दबाव भी डाला।
भारत ने ट्रंप की भूमिका से किया इनकार
पाकिस्तान को शुरू से ही अमेरिका के हाथों की कठपुतली रहा है। ऐसे में पाकिस्तान ने सार्वजनिक तौर पर इसे कबूला और ट्रंप की भूमिका को स्वीकार किया, लेकिन भारत ने इससे इनकार कर दिया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने हर बार ट्रंप के भारत-पाकिस्तान में संघर्षविराम कराने के दावे को खारिज किया और कहा कि यह दोनों देशों के बीच आपसी बातचीत के जरिए हुआ है और इसमें तीसरे देश की कोई भी भूमिका नहीं है। मामला जब बढ़ा, तब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम में ट्रंप की भूमिका से इनकार किया। इससे ट्रंप को और भी ज्यादा मिर्ची लग गई।
ट्रंप ने मुनीर को लंच पर बुलाया
इसके बाद से ही ट्रंप भारत से चिढ़ गए और उन्होंने एक के बाद एक कड़े फैसले लिए। ट्रंप ने न सिर्फ पाकिस्तान के फील्ड मार्शल को व्हाइट हाउस में लंच पर बुलाया, बल्कि उनके पक्ष में सार्वजनिक तौर पर दर्जनों बार बयान दिए। ट्रंप ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी व्हाइट हाउस आमंत्रित किया, जहां असीम मुनीर ने उन्हें पाकिस्तानी दुर्लभ खनिजों से भरा एक बॉक्स गिफ्ट किया। ट्रंप ने असीम मुनीर की मदद से पाकिस्तान में अपने परिवार के बिजनेस का विस्तार किया। इसके बाद से ही ट्रंप पाकिस्तान, खासकर असीम मुनीर की तारीफ किए जा रहे हैं।













