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  • इंसाफ के खातिर बढ़ रहे महिलाओं के कदम, देशभर में कुल लंबित मामलों 8 % केस महिलाओं के

    नई दिल्लीः रुके रुके से कदम, रुक के बार-बार चले (गीतकार गुलजार के लिखे एक गीत के बोल)। महिलाओं में अपने से जुड़े हर फैसले में यह संकोच धीरे-धीरे सही, पर अब काफी हद तक खत्म होने लगा है। नैशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि महिलाएं अब


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 21, 2025
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    नई दिल्लीः रुके रुके से कदम, रुक के बार-बार चले (गीतकार गुलजार के लिखे एक गीत के बोल)। महिलाओं में अपने से जुड़े हर फैसले में यह संकोच धीरे-धीरे सही, पर अब काफी हद तक खत्म होने लगा है। नैशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (NJDG) के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि महिलाएं अब हर दर्द, हर तकलीफ, हर नाइंसाफी के खिलाफ खुलकर बोल रही है।

    महिलाएं अब केस दायर करने में पीछे नहीं हैं

    देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के राज्यों के आंकड़ों से ही पूरे देश की तस्वीर सामने आ जाएगी, जो बताते हैं कि महिलाएं अब केस दायर करने में पीछे नहीं हैं। आज की तारीख में देशभर की अदालतों में जितने भी मामले लंबित हैं, उनमें 8% फीसदी केस ऐसे है जो महिलाओं ने दाखिल किए हैं। NJDG ने देश की सभी अदालतों में लंबित मामलों की पूरी सूचना अपने में समेट कर रखी है। इसके मुताबिक, देशभर में 4,85,24,466 के लगभग मामले लंबित हैं। इनमें से 38,53,312 मामले ऐसे हैं जो महिलाओं ने दाखिल किए हैं। इन्हें आगे और बांट दें तो इनमें 18.38,276 मामले सिविल और 20,15.036 आपराधिक मामले हैं।

    कुल 11 जिले और 12 कोर्ट परिसर

    अब बात करते है देश की राजधानी दिल्ली की, यहां कुल 11 जिले और 12 कोर्ट परिसर हैं। कुल लंबित मामलों 1,08,943 के लगभग केस महिलाओं द्वारा दाखिल किए गए हैं। इस आंकड़े को और बांटे तो इनमें 33 हजार 953 मामले सिविल और 74 हजार 990 आपराधिक मामले हैं। इस लिहाज से अगर यहां लंबित मामलों की बात करें तो सबसे ज्यादा केस (2,91,789) साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट में पेंडिंग हैं। हालांकि, केस दायर करने में महिलाओं की सक्रियता के हिसाब से साउथ डिस्ट्रिक्ट (12,858) सबसे आगे हैं। ऐसे सबसे कम मामले नई दिल्ली (3,777) में मिले।

    तीसरे स्थान पर दिल्ली का नंबर

    • उत्तर प्रदेश में 1,15,31,893 लंबित मामले हैं, जिनमें महिलाओं द्वारा दाखिल मामले 7,59,736 है।
    • दूसरे नंबर पर राजस्थान है जहां लंबित 25,83,177 मामलो में महिलाओं द्वारा दाखिल केस की संख्या 1,56,729 है।
    • तीसरे नंबर पर दिल्ली है, जहां की अदालतों में 15,79,597 मामले पेंडिंग है और उनमे महिलाओं द्वारा दाखिल केस की संख्या 1,08,943 है।
    • चौथे पर हरियाणा है, जहां लंबित 15.22,185 मामलों मे महिलाओं द्वारा दाखिल मामले केवल 1,05,775 के आसपास है।

    कानूनी जानकारों की राय में…

    NJDG के आंकड़ो से इस बात की तस्दीक तो होती है कि महिलाएं अब अपने साथ किसी भी अन्याय के खिलाफ लड़ने में या हक की मांग उठाने में पीछे नहीं है। इन आंकड़ों से एक और बात जाहिर है। वो यह कि महिलाएं आज भी अपने हक और अधिकार के लिए सामाजिक बंधनो, पारिवारिक जिम्मेदारियों और आर्थिक निर्भरताओं की सांकलो से पूरी तरह आजाद नहीं है। रोहिणी कोर्ट बार असोसिएशन के सेक्रेटरी एडवोकेट प्रदीप खत्री बताते है कि महिलाएं उसी तरह के मामलों में केस फाइल करती हैं, जिनमें वे सीधे तौर पर पीड़ित हो। सेक्शुअल असॉल्ट, छेड़‌छाड़ आदि के मामले। पॉक्सो के मामले है बच्चे की मां या महिला रिश्तेदार ही शिकायतकर्ता बनती है। इसलिए महिलाओं के नाम पर दाखिल केसों की संख्या कम होती है।

    महिलाओं के मामलो में तीन तरह के केस आते हैं

    एडवोकेट मनीष भदौरिया बताते है कि महिलाओं के मामलो में तीन तरह के केस आते हैं। पहले, घरेलू हिंसा और तलाक या दहेज के मामले। दूसरे, रेप या छेड़खानी से संबंधित और तीसरे तरह के मामले वो होते है जो बुजुर्ग महिलाओं द्वारा खर्च या प्रॉपर्टी के संबध में दाखिल किए जाते है। दिल्ली में अन्य शहरों के मुकाबले कम मामले इसलिए है, क्योंकि माना जाता है कि यहां दहेज वगैरह की मांग नही होती, सीसीटीवी की निगरानी में है, दिल्ली की महिलाएं जागरूक है, इंटरनेट से वाकिफ है।

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