AI का साल
इस निवेश से देश की -यूनिवर्सिटीज, startup ecosystem और अन्य संस्थानों को AI में काम आने वाले हार्डवेयर जैसे बड़े-बड़े GPU और अन्य सुविधाएं दी जा रही है। AICTE ने भी 2025 को शिक्षा में AI का साल घोषित किया। इन कदमों का लक्ष्य AI क्रांति के लिए तैयार करना ही नहीं, देश का अपना लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) भी तैयार करना है जैसे OpenAI का ChatGPT और Google का Gemini। यह लक्ष्य तय हुआ तो भारत AI की दुनिया की महाशक्ति बन सकता है।
बढ़ता बाजार
2025 में हमें इन प्रयासों के परिणाम भी दिखे। देश में AI बाजार 2024 में 9.51 अरब डॉलर था, 2025 में यह 13.03 अरब डॉलर हो गया, जो 2032 तक 130.63 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है यानी आज की तुलना में 10 गुना ! एमेजॉन और माइक्रोसॉफ्ट जैसी दिग्गज कंपनियों ने भी भारत के AI बाजार में अरबों डॉलर का निवेश किया है। गूगल ने AdaniConneX और एयरटेल के साथ विशाखापट्टनम में भारत का पहला बड़ा AI हब बनाना शुरू कर दिया है।
जनता तक पहुंच
2025 में AI टूल्स न के बराबर कीमत में आम जनता को भी मिलने लगे। एयरटेल ने अपने सब्सक्राइबर्स को Perplexity AI की मुफ्त भेंट दी तो रिलायंस जियो ने सब्सक्राइबर्स को Google Gemini इस्तेमाल करने की खुली छूट। साल खत्म होते-होते बाजार में शायद ही कोई गैजेट AI से लैस होना बचा हो। सरकार, संस्थान, कॉरपोरेट और उपभोक्ता किसी की भी नजर से देखिए, 2025 के इंडियन टेक वर्ल्ड में AI की धूम दिखाई देगी।
अभी बस शुरुआत
मगर सच यही है कि देश में AI का यह शुरुआती दौर है। भारत में टेक दिग्गज पैसा जरूर लगा रहे है, लेकिन ध्यान देने की बात है कि इस समय AI वर्ल्ड में हमारी भूमिका वही है, जो 2000 की शुरुआत में इंटरनेट और डॉटकॉम की लोकप्रियता के समय थी यानी एक बड़े बाजार की, जिसमें काफी संसाधन कम दाम पर मिल सकते हैं।
मौका चूक गए
दो दशक पहले देश और उसके संस्थानों के पास मौका था कि इनोवेशन व खास प्रॉडक्ट्स के जरिये पूरे विश्व पर धाक जमाई जाए। आगे निकलने का वह मौका हाथ से निकल गया। नतीजा, भारत एक बड़ा टेक मार्केट तो है, लेकिन इस मार्केट में उसके अपने प्रॉडक्ट बहुत कम है।
भरपूर क्षमता
यही खतरा AI में भी है। भारत में निवेश तो जरूर हो रहे हैं, लेकिन हमारे पास अपना कोई बहुत बड़ा उत्पाद नहीं है। ऐसी बात नहीं है कि हममें अपना AI इकोसिस्टम और टूल्स बनाने की क्षमता नहीं। सरकार BharatGen नाम के लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर काम कर रही है। इसे भारतीय संस्कारों, सभ्यता के हिसाब से रचा जा रहा है और 22 भारतीय भाषाओं के साथ काम करेगा। इसी तरह, Krutrim और Sarvam-M जैसे LLM भी भारतीय कंपनियां बना चुकी हैं, लेकिन ये गूगल, माइक्रोसॉफ्ट या मेटा के प्रॉडक्ट्स को टक्कर नहीं दे सकते।
अपना हो AI
दुनिया के दिग्गजों से होड़ में अभी समय लगेगा इसके लिए जरूरत होगी दूरदर्शिता, उचित निवेश और सधे नेतृत्व की। फटाफट पैसा कमाने की होड़ में हमारा देश एक बार टेक में लंबे वक्त का घाटा उठा चुका है। ध्यान रखना होगा कि वैसी गलती अब न हो। इस मामले में सरकार के AI सिखाने और पढ़ाने के कार्यक्रम जैसे ‘Yuva Al for All’ बहुत ही महत्वपूर्ण है। भारत को अपना AI चाहिए, जो उसकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए किसी भारतीय ने बनाया हो।
पहली सीढ़ी
इसमें दो राय नहीं कि 2025 भारत में AI का साल था, लेकिन यह अभी पहला पायदान है। 2026 में देश को AI बाजार का बादशाह बनने की लंबी यात्रा के पहले कदम उठाने होंगे। राह आसान नहीं, कई चुनौतियां है, लेकिन सही निर्णय और धैर्य से लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। अगर ऐसा हुआ तो AI का अगला Generation BharatGen का होगा।














