नवंबर 2012 में जब खालिदा जिया भारत आई थीं तब उनकी मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हुई। इस दौरान उन्होंने कहा कि वह खुले मन से आई हैं और नई शुरुआत की उम्मीद रखती हैं, जिसमें पुराने मतभेद खत्म हों। हालांकि वापस बांग्लादेश लौटते ही खालिदा जिया फिर शेख हसीना को भारत की कठपुतली बताने वाले बयान देने लगीं।
साल 2013 में बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की अध्यक्ष रहते खालिदा जिया ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के साथ अपनी प्रस्तावित मुलाकात को रद्द कर दिया था। राष्ट्रपति बनने के बाद प्रणब मुखर्जी अपने पहले विदेश दौरे पर बांग्लादेश गए थे। हालांकि कुछ समय बाद एक इंटरव्यू में खालिदा जिया ने बताया था कि 2013 में वह राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से नहीं मिल सकीं क्योंकि उन्हें जान से मारने की धमकी मिली थी।
जमात-ए-इस्लामी ने 1971 के युद्ध अपराधों के लिए अपने तीन शीर्ष नेताओं को दोषी ठहराए जाने के विरोध में तब आम हड़ताल का आह्वान किया था। उन्होंने कहा,अगर मुझे कुछ हो जाता, तो इसका सारा दोष जमात-ए-इस्लाम पर मढ़ा जाता। बीएनपी प्रमुख ने आगे कहा कि यह उनके विरोधियों की रणनीति थी और इसीलिए बैठक रद्द की गई थी।














