एक्टिविस्ट और जज भी बनते हैं टारगेट
इंडियन एक्सप्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अभय एस ओका से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट दी है, जिसमें उन्होंने पर्यावरण से जुड़ी समस्या पर अपनी बातें सामने रखी हैं और बताया है कि कैसे इसकी वजह से कई बार जजों को भी निशाना बनाया जाता है। जब उनसे सवाल किया गया है कि आपने हाल ही में कहा है कि पर्यावरण के मुद्दों को प्राथमिकता देने की वजह से क्लाइमेट एक्टिविस्ट ही नहीं, जजों को भी टारगेट किया जाता है। उन्होंने कहा कि एनवायरमेंटल एक्टिविस्ट को धर्म-विरोधी या देश-विरोधी कहकर उनपर निशाना साधने की जगह उन्हें समाज से सराहे जाने की जरूरत है।
पक्षपाती होने तक के लगाए गए आरोप
जजों के बारे में जस्टिस ओका ने कहा है कि अब सोशल मीडिया पर इस मामले में हमला किया जाता है। उन्होंने कहा कि उन्हें एक घटना याद है कि जब वह ध्वनि प्रदूषण का मामला देख रहे थे और सड़कों पर धार्मिक उत्सवों के लिए पंडाल बनाए जाने के मामले उनके सामने थे, तो महाराष्ट्र सरकार ने उनके इरादे को पक्षपाती बताने तक की कोशिश की। हालांकि, बार और बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने राज्य सरकार की जबरदस्त खिंचाई कर दी थी।
नागरिकों की सोच में बदलाव से समाधान
जब जस्टिस ओका से सीधे यह पूछ लिया गया कि फिर पर्यावरण प्रदूषण की समस्या का समाधान क्या है, इसे कैसे रोका जा सकता है। इसपर उन्होंने कहा है कि ‘यह अप्रोच पर निर्भर है। संविधान के 75 साल हो चुके हैं और अभी तक हम पर्यावरण की रक्षा को लेकर अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं। एक बार जब सभी नागरिक यह महसूस करने लगेंगे कि पर्यावरण को बेहतर करना और सुरक्षित रखना उनका कर्तव्य है, चीजें बदल जाएंगी। नहीं तो यह कुछ एक्टिविस्ट की जिम्मेदारी रह गई है, जो मु्द्दा उठाने की कोशिश करते हैं और कोर्ट चले जाते हैं।’
संविधान में नीति निदेशक तत्व और पर्यावरण
बता दें कि संविधान के नीति निदेशक तत्वों में पर्यावरण की सुरक्षा और इसे बेहतर बनाने पर बात की गई है। यूं तो पर्यावरण संरक्षण और सुधार, वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सरकार को निर्देश दिए गए हैं, वहीं देश के प्रत्येक नागरिकों का भी यह मौलिक कर्त्वय है कि वे प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा में हाथ बंटाएं। दुर्भाग्य से नीति निदेशक तत्व अदालतों की ओर से अमल में लाए जाने के लिए बाध्य नहीं किए जा सकते, यह तथ्य इस समस्या की बहुत ही कमजोर कड़ी है।














