न्यूज 18 ने बीएनपी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से कहा है कि पार्टी के भीतर “कुछ संभावनाओं” पर गंभीरता से विचार चल रहा है, हालांकि अंतिम फैसला पार्टी की अध्यक्ष बेगम खालिदा जिया को लेना है, जो इस वक्त भी अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी सेहत को लेकर चिंता बरकरार है, लेकिन पार्टी के नेताओं का दावा है कि वह अब भी राजनीतिक घटनाक्रम पर करीबी नजर रखे हुए हैं। सूत्रों के हवाले से न्यूज 18 ने दावा किया है कि अस्पताल में भर्ती होने से पहले भी वह रणनीतिक फैसलों में पूरी तरह सक्रिय थीं और पार्टी की दिशा तय करने में उनकी भूमिका निर्णायक बनी हुई है।
क्या तारिक रहमान बनेंगे बांग्लादेश के प्रधानमंत्री?
तारिक रहमान ऐसे वक्त में ढाका लौट रहे हैं जब देश हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है। शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया और उनकी पार्टी को तहस नहस कर दिया गया है। जबकि जमात-ए-इस्लामी का तेजी से उभार हो रहा है। लिहाजा, बीएनपी के लिए इस बार का चुनाव काफी महत्वपूर्ण हो गया है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि BNP के लिए यह महज एक और चुनाव नहीं, बल्कि करीब 15 वर्षों बाद सत्ता में वापसी का संभावित रास्ता है। पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि ऐसे समय में अगर तारिक रहमान को उम्मीदवार बनाया जाता है, तो लोग भावनात्मक तौर पर उनसे जुड़ सकते हैं।
हालांकि कई नेता तारिक रहमान के नाम पर पार्टी में कुछ नेताओं का विरोध भी है। विरोध करने वाले नेता वंशवाद की राजनीति की दलील दे रहे हैं। खासकर बदलते हालात में युवा मतदाताओं की बढ़ती संख्या देखकर। उनका कहना है कि ऐसा करने पर विपक्षी, वंशवाद की राजनीति पर पार्टी को घेर सकते हैं। इनका तर्क ये भी है कि क्या विरासत के आधार पर मतदाता, तारिक रहमान को स्वीकार करेंगे? रिपोर्ट के मुताबिक, बीएनपी में तारिक रहमान को लेकर दुविधा बढ़ती जा रही है।
जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन करेगी BNP?
न्यूज 18 ने बीएनपी के एक सीनियर नेता के हवाले से कहा है कि पार्टी कई संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए तैयारी कर रही है, जिसमें एक संभावना गठबंधन को लेकर भी है। इस हिसाब से बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी से गठबंधन करने पर विचार कर सकती है। वहीं, पार्टी के एक और अन्य सूत्र ने कहा है कि अवामी लीग के मुकाबले से बाहर होने की वजह से जमात-ए-इस्लामी, जिसके बाद संगठन के स्तर पर काफी गहराई है, उसके साथ गठबंधन कई निर्वाचन क्षेत्रों में निर्णायक साबित हो सकती है। हालांकि उन्होंने जमात से गठबंधन करने पर कुछ जोखिमों का भी जिक्र किया है। उनका मानना है कि गठबंधन अगर होता भी है, फिर भी बीएनपी और जमात के बीच वैचारिक स्तर पर काफी गंभीर मतभेद हैं, जो सरकार बनाने पर और गहरा सकते हैं। इसके अलावा, जमात के साथ गठबंधन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी उसकी शाख खराब होगी। इसीलिए बीएनपी फूंक-फूंककर कदम रख रही है।















