WION के सिद्धांत सिबल के साथ बात करते हुए जलाल जलाली ने भारत के साथ अफगानिस्तान के रिश्ते और पाकिस्तान के साथ संबंधों में आए तनाव पर प्रतिक्रिया दी है। जलाली ने काबुल में भारत के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ को अफगानिस्तान के प्रमुख बाल चिकित्सा अस्पतालों में से एक बताया है।
भारत के साथ संबंध अहम
मौलवी नूर जलाल जलाली ने कहा है कि उनके दिल्ली दौरे का मकसद भारत के साथ स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा करना है। उन्होंने कहा, ‘भारत के साथ हमारा जुड़ाव पारंपरिक रूप से लोगों पर केंद्रित रहा है। खासतौर से स्वास्थ्य, शिक्षा और मानवीय सहायता के क्षेत्र में हम भारत को एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय भागीदार के रूप में देखते हैं।’
जलाली ने कहा कि अफगान लोग लंबे समय से इलाज के लिए नियमित रूप से भारत आ रहे हैं। मेडिकल वीजा इसमें एक महत्वपूर्ण मानवीय माध्यम रहा है। हमने हाल ही में भारत में इलाज की चाहत रखने वाले अफगान नागरिकों के लिए कई वीजा जारी होते देखे हैं। हाल के वर्षों में हजारों अफगान मरीजों को इससे फायदा हुआ है।
भारत ने पहुंचाई मदद
मौलवी नूर जलाल जलाली ने कहा कि अफगानिस्तान 45 सालों से युद्ध और अस्थिरता से जूझ रहा है। इस दौरान हमें लगातार भारत से मेडिकल सपोर्ट मिला है। अफगानिस्तान ऐतिहासिक रूप से मेडिकल इंपोर्ट के लिए कई रास्तों पर निर्भर रहा है। इसमें भारत एक अहम नाम हालिया वर्षों में रहा है। खासतौर से पाकिस्तान के साथ तनाव के बाद भारत ने मदद की है।
जलाली ने कहा कि पाकिस्तान से रिश्ते में तनाव के बाद हम दिक्कत में आए क्योंकि अफगानिस्तान एक लैंडलॉक देश है। पाकिस्तान से संघर्ष के बाद हम दवाओं की सप्लाई को लेकर संघर्ष कर रहे थे। ऐसे में भारत ने जरूरी सप्लाई, वैकल्पिक रास्तों और समाधानों की निरंतरता सुनिश्चित करने में मदद की है। इसने हमें एक कॉरिडोर पर निर्भरता कम करने में मदद की है।
एक देश पर निर्भर नहीं रह सकते
जलाली ने कहा कि अफगानिस्तान में अभी भी अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर है, हमारे पास अच्छे डॉक्टर हैं। हालांकि जब दवाओं और उपकरणों की सप्लाई की बात आती है तो इसके लिए हम कई देशों के साथ अपनी साझेदारी में विविधता ला रहे हैं। इसी कड़ी में मैं भारत आया हूं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में भारत-अफगानिस्तान के रिश्ते और बेहतर होंगे।















