पेंटागन ने अमेरिकी कांग्रेस को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें आगे कहा गया है कि “चीन की रणनीति में संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों की रक्षा, सर्वोच्च प्राथमिकता मानी जाती है और इसी सोच के तहत वह अपने आंतरिक और बाहरी सुरक्षा ढांचे को लगातार मजबूत कर रहा है।” इसके अलावा पेंटागन की रिपोर्ट में भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर भी बात की गई है। खासकर इस रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि चीन, भारत के साथ सीमा विवाद को सामान्य कर रहा है।
पेंटागन की रिपोर्ट में भारत-चीन संबंध पर क्या है?
पेंटागन की अमेरिकी कांग्रेस को सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपनी नेशनल स्ट्रैटजी में तीन तथाकथित “कोर इंटरेस्ट” तय किए हैं, जिन्हें वह किसी भी तरह की बातचीत या समझौते से परे मानता है। इनमें पहला, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) का पूर्ण नियंत्रण, दूसरा, देश का आर्थिक विकास और तीसरा, चीन की संप्रभुता और क्षेत्रीय दावों की रक्षा और विस्तार शामिल है। बीजिंग ने इन कोर इंटरेस्ट्स के दायरे में ताइवान, दक्षिण चीन सागर, सेनकाकू द्वीप और भारत के अरुणाचल प्रदेश जैसे विवादित क्षेत्रों को भी शामिल कर लिया है। यानि, अरूणाचल प्रदेश को चीन अब अपना राष्ट्रीय हित मानता है। जिसका मतलब हुआ कि अरूणाचल को लेकर भारत और चीन के बीच आने वाले वक्त में, शायद कुछ सालों में विवाद तेज होने की संभावना है।
इसके अलावा इस रिपोर्ट में कहा गया है कि CCP चीन पर अपने शासन के लिए किसी भी संभावित खतरे और किसी भी घरेलू आलोचना के प्रति बहुत संवेदनशील है। वो इस तरह का संदेश नहीं जाने देना चाहती है कि “CCP चीनी हितों की रक्षा करने में नाकाम हो रही है।” पार्टी नियंत्रण को मजबूत करने के लिए, CCP हांगकांग, शिनजियांग और तिब्बत में गैर-दोस्ताना राजनीतिक आवाजों के साथ साथ ताइवान में राजनीतिक नेतृत्व को, अलगाववादी तत्वों के रूप में लेबल करती है, जो आजादी के लिए जोर दे रहे हैं। चीन कहता है कि इन अलगाववादी ताकतों को बाहरी समर्थन हासिल है। CCP इन राजनीतिक समूहों को अपनी वैधता और शक्ति के लिए एक अस्वीकार्य खतरा मानती है।
‘LAC पर भारत के साथ संबंधों को सामान्य कर रहा चीन’
पेंटागन की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि “अक्टूबर 2024 में भारतीय नेतृत्व ने BRICS शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग और भारतीय प्रधान मंत्री मोदी के बीच एक बैठक से दो दिन पहले, LAC पर बाकी गतिरोध वाली जगहों से पीछे हटने के लिए चीन के साथ एक समझौते की घोषणा की। शी जिनपिंग और मोदी की बैठक ने दोनों देशों के बीच उच्च-स्तरीय मुलाकातों की शुरुआत को चिह्नित किया, जहां पार्टियों ने सीमा प्रबंधन और द्विपक्षीय संबंधों के लिए अगले कदमों पर चर्चा की, जिसमें सीधी उड़ानें, वीजा सुविधा और शिक्षाविदों और पत्रकारों का आदान-प्रदान शामिल है।
पेंटागन की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन शायद LAC पर कम तनाव का फायदा उठाकर, द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करना चाहता है और अमेरिका-भारत संबंधों को गहरा होने से रोकना चाहता है। हालांकि भारत शायद चीन की कार्रवाइयों और इरादों पर संदेह करता है। लगातार आपसी अविश्वास और अन्य परेशानियां निश्चित रूप से द्विपक्षीय संबंधों को सीमित करती है। यानि, पेंटागन का मानना है कि चीन, भारत के साथ संबंधों को सामान्य करना चाहता है, लेकिन भारत में चीन को लेकर अविश्वास है। इसके अलावा दोनों देशों के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जो भारत और चीन के बीच संबंध को सामान्य होने की संभावनाओं को कम करते हैं।














