कोटक म्यूचुअल फंड की 2026 की वार्षिक बाजार आउटलुक रिपोर्ट में शाह ने बताया कि दुनिया की अर्थव्यवस्था एक ऐसे दौर में प्रवेश कर रही है जहां सरकार की नीतियां (फिस्कल पॉलिसी) आगे बढ़कर नेतृत्व करेंगी, जबकि मौद्रिक समर्थन (मोनेटरी सपोर्ट) धीरे-धीरे कम हो रहा है। ब्याज दरों में कटौती शुरू हो गई है, लेकिन वह माहौल अब नहीं रहा जिसने पहले शेयर बाजार में इतनी बड़ी तेजी लाई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक शाह ने कहा कि दुनिया की ग्रोथ पॉजिटिव रहेगी, लेकिन 2026 में 2025 की तुलना में थोड़ी धीमी हो सकती है।
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कई जोखिमों के बारे में बताया
शाह ने आने वाले साल में वैश्विक बाजारों को प्रभावित करने वाले कई जोखिमों के बारे में बताया, जिनमें महंगाई, टेक्नोलॉजी में बड़े बदलाव और भू-राजनीतिक तनाव शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार के लिए मुख्य जोखिम डी-डॉलरराइजेशन (डॉलर का प्रभाव कम होना) और महंगाई का वापस आना है। साथ ही उन्होंने एआई के बुलबुले और और अमेरिका-चीन की प्रतिद्वंद्विता को लेकर भी बात कही।
भारत पर पड़ेगा चीन का असर
चीन के बारे में शाह ने कहा कि देश की आर्थिक तरक्की के बावजूद शेयर बाजारों में लंबे समय से उतार-चढ़ाव बना हुआ है। उन्होंने बताया कि बार-बार आने वाले तेजी और मंदी के चक्रों ने निवेशकों के लिए लंबे समय में धन बनाने की क्षमता को सीमित कर दिया है। शाह ने कहा, ‘अगर आप आज के CSI 300 इंडेक्स को देखें, तो यह 17 साल पहले जिस स्तर पर था, उसी के आसपास कारोबार कर रहा है।’ उन्होंने आगे कहा कि चीन में कोई भी बड़ी गिरावट वैश्विक पूंजी को भारत जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर धकेल सकती है।
2026 में भारत की ग्रोथ का अनुमान
शाह का मानना है कि पिछले एक दशक में भारत का ढांचागत बदलाव, जो कभी ऊंची महंगाई और तनावग्रस्त बैंकों से शुरू होकर अब मैक्रो स्थिरता (macro stability) और मजबूत बैलेंस शीट तक पहुंचा है, भारत को वैश्विक झटकों के खिलाफ मजबूती देता है। हालांकि, उन्होंने अवास्तविक ग्रोथ की उम्मीदों के खिलाफ चेतावनी दी। शाह ने कहा कि कुल मिलाकर भारत मिड सिंगल डिजिट में ग्रोथ करता रहेगा। उन्होंने आगे कहा कि यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था होगी, लेकिन डबल-डिजिट ग्रोथ में जाना मुश्किल है।













