इशाक डार ने कहा है कि भारत की ओर से सिंधु समझौते का उल्लंघन हो रहा है। हालांकि समझौते में साफतौर पर कहा गया है कि कोई एक पक्ष इससे हटने का फैसला नहीं ले सकता है। ऐसे में हम पानी के रोकने को युद्ध की कार्रवाई मानेंगे। डार ने यह भी बताया कि पाकिस्तान की सरकार ने चिनाब नदी के प्रवाह में उतार-चढ़ाव पर चिंता जताते हुए पत्र लिखकर भारत से जवाब मांगा है।
मूल सिद्धांतों को तोड़ रहा भारत
इशाक डार ने शुक्रवार को अपने बयान में कहा, ‘हमने इस वर्ष अप्रैल में भारत के सिंधु जल संधि से एकतरफा रूप से हटने की कार्रवाई देखी। अब हम भारत की ओर से सिंधु जल संधि के मूल सिद्धांतों पर हमले देख रहे हैं। भारत का रुख क्षेत्रीय स्थिरता और अंतरराष्ट्रीय कानून की पवित्रता के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
पाकिस्तान ने चिनाब नदी के प्रवाह में उतार-चढ़ाव पर सफाई मांगते हुए भारत को पत्र लिखा है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की ओर से जानकारी देते हुए कहा गया है कि उनके सिंधु जल आयुक्त ने सिंधु जल समझौते में निहित प्रक्रियाओं के अनुसार इन मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए अपने भारतीय समकक्ष को पत्र लिखा है।
पहलगाम हमले से बदले हालात
भारत ने इस साल 22 अप्रैल के पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई कदम उठाए हैं। इसमें 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना भी है। विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी का बंटवारा करती है।
सिंधु जल संधि पर भारत के रुख ने पाकिस्तान की चिंता बढ़ाई है। पाकिस्तान का कहना है कि सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) एक बाध्यकारी अंतरराष्ट्रीय समझौता है। यह क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए जरूरी है। अगर भारत इस समझौते को तोड़ता है तो पाकिस्तान इसे युद्ध का ऐलान मानेगा।















