• Business
  • सोना आसमान पर और जूलरी कंपनियों के शेयरों में गिरावट, ये कैसा विरोधाभास है? जान लीजिए वजह

    नई दिल्ली: सोने की कीमत में इस साल काफी तेजी देखने को मिली है और यह करीब साढ़े चार दशक बाद अपने सबसे बेहतर प्रदर्शन की तरफ बढ़ रहा है। इसकी कीमत में इस साल 70% से ज्यादा तेजी आई है। लेकिन सोने की कीमत बढ़ने से जूलरी कंपनियों को नुकसान हुआ है। मार्केट कैप


    Azad Hind Desk अवतार
    By Azad Hind Desk दिसम्बर 24, 2025
    Views
    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement
    नई दिल्ली: सोने की कीमत में इस साल काफी तेजी देखने को मिली है और यह करीब साढ़े चार दशक बाद अपने सबसे बेहतर प्रदर्शन की तरफ बढ़ रहा है। इसकी कीमत में इस साल 70% से ज्यादा तेजी आई है। लेकिन सोने की कीमत बढ़ने से जूलरी कंपनियों को नुकसान हुआ है। मार्केट कैप के हिसाब से टॉप 10 जूलरी कंपनियों में से आठ के शेयरों में इस साल गिरावट आई है। केवल टाइटन और Thangamayil Jewellery के शेयरों में तेजी आई है। टाइटन के शेयर में 17% और Thangamayil Jewellery में 72% तेजी आई है। बाकी बड़ी जूलरी कंपनियों के शेयरों में 44% तक गिरावट आई है।

    पिछले एक साल में पीसी जूलर के शेयरों में सबसे ज्यादा 44% गिरावट आई है। यह अपने 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर के करीब ट्रेड कर रहा है। इस दौरान सेंको गोल्ड के शेयरों में 43.5% गिरावट आई है। कल्याण जूलर्स के शेयर 35% और स्काई गोल्ड एंड डायमंड्स के शेयर 38% गिरे हैं। हाल ही में लिस्ट हुई कंपनी पीएन गडगिल के शेयरों में एक साल में 15 फीसदी, ब्लूस्टोन जूलरी में 1 फीसदी और Motisons Jewellers के शेयरों में 45% गिरावट आई है।

    Gold Silver Price 2026: सोना-चांदी की कीमत साल 2026 में भी बढ़ेगी या आएगी गिरावट? जानें क्या है एक्सपर्ट की राय

    मुनाफे पर दबाव

    जानकारों का कहना है कि जूलरी कंपनियों के शेयरों में गिरावट के कई कारण हैं। जूलरी कंपनियों के शेयर सोने की कीमतों में हुई भारी बढ़ोतरी के साथ तालमेल नहीं बैठ पाए हैं। सोने की कीमतें बढ़ने से कच्चे माल की लागत और वर्किंग कैपिटल की जरूरत बढ़ जाती हैं और इससे मुनाफे पर दबाव पड़ता है। जूलर्स के लिए सोना इनपुट कॉस्ट है। जब कीमत ज्यादा होती है तो बिक्री में गिरावट आती है।

    जानकारों के मुताबिक सोना महंगा होने से ग्राहक या तो खरीदारी टाल देते हैं या हल्के गहने खरीदते हैं। इससे बिक्री का वॉल्यूम कम हो जाता है और कंपनी की कमाई पर असर पड़ता है। कम लिक्विडिटी और बढ़ती ब्याज दरें ने भी उन जूलरी कंपनियों को प्रभावित किया है, जिन पर ज्यादा कर्ज है। कुछ ग्राहक वेट एंड वॉच की रणनीति अपना रहे हैं। 22 कैरेट सोने के पारंपरिक खरीदार अब 18 कैरेट सोने का रुख कर रहे हैं जबकि 14 कैरेट को भी छोटे उपहारों के लिए स्वीकार किया जा रहा है।

    Navbharat Timesचांदी एक ही दिन में ₹10,400 उछली, सोना ₹1,685 चमका, सारे रिकॉर्ड तोड़ अब कहां पहुंचे दाम?

    रुपये में गिरावट

    रुपये में आई गिरावट ने भी सोने के खरीदारों के लिए इस मुश्किल को और बढ़ा दिया है। डीलरों का कहना है कि जैसे-जैसे रुपया कमजोर हो रहा है, भारतीय खरीदारों के लिए सोना और महंगा होता जा रहा है। जूलर्स के लिए यह तय करना मुश्किल हो रहा है कि कब और कितना स्टॉक जमा करें। हाल ही में रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 91 के पार पहुंच गया था। साल 2023 में देश में संगठित जूलरी मार्केट लगभग ₹1,752 अरब का था और इसके 2029 तक ₹5,079 अरब तक पहुंचने का अनुमान है।

    728 x 90 Advertisement
    728 x 90 Advertisement
    300 x 250 Advertisement

    हर महीने  ₹199 का सहयोग देकर आज़ाद हिन्द न्यूज़ को जीवंत रखें। जब हम आज़ाद हैं, तो हमारी आवाज़ भी मुक्त और बुलंद रहती है। साथी बनें और हमें आगे बढ़ने की ऊर्जा दें। सदस्यता के लिए “Support Us” बटन पर क्लिक करें।

    Support us

    ये आर्टिकल आपको कैसा लगा ? क्या आप अपनी कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे ? आपका सुझाव और प्रतिक्रिया हमारे लिए महत्वपूर्ण है।