सोमालीलैंड की सीमा उत्तर-पश्चिम में जिबूती और पश्चिम और दक्षिण में इथियोपिया से लगती है। अदन की खाड़ी के दक्षिणी तट पर स्थित सोमालीलैंड अफ्रीका से लेकर अरब और एशिया के देशों तक के लिए अहमियत रखता है। इजरायल के फैसले से तुर्की, मिस्र, सोमालिया समेत कई अफ्रीकी और अरब देशों ने गुस्सा जताया है।
सोमालीलैंड क्या है ?
सोमालीलैंड के इतिहास के बारे में सबसे पहले मौटेतौर पर जान लेना जरूरी है। यह सोमालिया से टूटकर बना ‘देश’ है। गृहयुद्ध और हिंसा के बीच 1991 में सरकार के पतन के बाद सोमालिया से अलग होकर सोमालीलैंड बना था। इसके बाद से यह मौटेतौर पर देश की तरह काम कर रहा है। सोमालीलैंड की अपनी चुनी हुई सरकार, करेंसी, सुरक्षा बल और सीमाएं हैं।
सोमालीलैंड में करीब 60 लाख लोग रहते हैं। कई देशों के सोमालीलैंड से संबंध रहे हैं लेकिन इजरायल के अलावा किसी ने उसे औपचारिक मान्यता आज तक नहीं दी है। हालांकि यह सोमालिया के ज्यादा हिस्सों की तुलना में एक शांतिपूर्ण और स्थिर क्षेत्र हैं। यहां सत्ता परिवर्तन और ज्यादातर मामलों में शांति देखी गई है।
इजरायल के लिए अहमियत
इजरायली विश्लेषकों का मानना है कि सोमालीलैंड को मान्यता देना उनके देश के रणनीतिक हित में हो सकता है। सोमालीलैंड के जरिए क्षेत्र के अपने इजरायल कई विरोधियों पर नजर रख सकता है। यहां से वह उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर सकता है। यमन, तुर्की से ईरान तक उसको फायदा मिल सकता है।
सोमालीलैंड यमन के करीब है। यमन के हूती विद्रोहियों से इजरायल का टकराव है। इजरायल ने बीते दो सालों में हूती विद्रोहियों के खिलाफ हवाई हमले किए हैं। इजराइली थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज का अनुमान है कि सोमालीलैंड में इजरायल सैन्य बेस बना सकता है, जो क्षेत्र में कई मिशनों के लिए फॉरवर्ड बेस के तौर पर काम करेगा।
इजरायल को तुर्की पर मिलेगी बढ़त!
इजरायल का यह कदम अफ्रीका में उसके डिप्लोमैटिक प्रभाव को बढ़ाता है। सोमालीलैंड से रिश्ता उसे लाल सागर और अदन की खाड़ी के पास रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के करीब पहुंचाता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त शिपिंग मार्गों में से एक है। इससे तुर्की और ईरान जैसे विरोधियों के खिलाफ भी इजरायल को फायदा होगा।
दूसरी ओर सोमालीलैंड के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश से मान्यता मिलने से उसकी डिप्लोमैटिक स्थिति मजबूत होगी। इजरायल के कदम से प्रभावित होकर दूसरे देश भी सोमालीलैंड को मान्यता देने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय मान्यता ना होने से सोमालीलैंड को विदेशी कर्ज और निवेश में मुश्किल आती रही है।














