दिल्ली की स्पेशल सेल को 13,000 करोड़ रुपये की ड्रग तस्करी के मामले में एक शख्स की तलाश है। एक कथित इंटरनेशनल ड्रग लॉर्ड का नाम सामने आया है-राणा तरणदीप। लेकिन दिक्कत यह है कि इस शख्स के नाम के अलावा अभी तक कुछ भी सुराग नहीं मिला है। यह कौन है, कहां रहता है, कहां से ऑपरेट कर रहा है? यहां तक कि इसका असली नाम यही है या कुछ और? इन सब सवालों के जवाब तलाशने में दिल्ली पुलिस जुट गई है।
व्हाट्सएप चैट से मिला सुराग
दिल्ली में जो ड्रग्स की खेप आ रही थी, उसमें दुबई के एक कार्टेल का हाथ बताया जा रहा है। पुलिस को जांच के दौरान एक व्हाट्सएप चैट हाथ लग गई। इसमें सामने आया कि कोई राणा तरणदीप नाम का शख्स कोकीन की तस्करी में दुबई में बैठ ड्रग कार्टेल चला रहे बीरेंद्र बसौया उर्फ वीरू के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दे रहा है। वो कोकीन को गुजरात में रिफाइन और प्रोसेस करने के निर्देश दे रहा था। पुलिस इस बात की जांच कर रह है कि तरणदीप उसका असली नाम है या नहीं।
आवकार ड्रग्स कंपनी में काम करने वालों से संपर्क
पिछले अक्टूबर में स्पेशल सेल और गुजरात पुलिस अंकलेश्वर में ‘आवकार ड्रग्स’ नाम की कंपनी पर छापेमारी की थी। यह भी पता चला है कि तरणदीप इस कंपनी में काम करने वाले केमिस्टों के भी संपर्क में था। इस कंपनी में दुबई के रास्ते कोकीन यहां पहुंचती थी। यह ड्रग्स दक्षिण अमेरिका से मंगाई जाती और दक्षिण भारत के कई बंदरगाहों से होती हुई यहां पहुंचती। प्रोसेसिंग के बाद इसे दवा की शक्ल में गुजरात से बाहर भेज दिया जाता।
दिल्ली-एनसीआर में ‘फार्मा सॉल्यूशंस सर्विसेज’ कंपनी के दवा पैकेट के रूप में ही यह ड्रग्स आई थी। इस मामले में पुलिस ने 19 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक शख्स है मयूर देसाले, जो इस कंपनी में केमिस्ट था। यह शख्स तरणदीप से लगातार संपर्क में था और हर कोकीन के रंग से लेकर मात्रा तक अपडेट देता था। हैरानी की बात यह भी है कि गिरफ्तारी से महज 30 दिन पहले ही कंपनी में शामिल हुआ था। लेकिन तरणदीप से कॉन्टेक्ट पहले से ही था। एक और बात सामने आई है कि जो लोग गिरफ्तार हुए हैं, उनमें से किसी ने भी तरणदीप को नहीं देखा है। तरणदीप एक और आरोपी अमित मसोरिया के भी संपर्क में था, जो बिचौलिए के तौर पर काम कर रहा था। दिल्ली पुलिस इस मामले में 10,000 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर चुकी है।















