क्या है आर्गो फ्लोट रोबोट ?
द डीब्रीफ की रिपोर्ट (Ref.) के अनुसार, आर्गो फ्लोट एक ऑटोमेटिक रोबोट है जो समुद्र में घूमता है। यह दो किलोमीटर गहराई तक जाता है, ऊपर नीचे होता रहता है। हर दस दिन में सतह पर आकर डेटा सैटेलाइट से भेजता है। दुनिया भर में ऐसे हजारों फ्लोट काम करते हैं। इस रोबोट ने पहली बार पूर्वी अंटार्कटिका की आइस शेल्फ के नीचे हर पांच दिन में तापमान का डेटा लिया।
वैज्ञानिकों को क्या जानना था?
अंटार्कटिका की आइस शेल्फ तैरती हुई बड़ी बर्फ की चादरें हैं। ये जमीन की बर्फ को समुद्र में जाने से रोकती हैं। अगर नीचे से गर्म पानी आए तो ये पिघल जाती हैं। पिघलने पर जमीन की बर्फ तेजी से समुद्र में गिरती है और जलस्तर बढ़ता है। डेनमन ग्लेशियर में इतनी बर्फ है कि पूरी पिघले तो जलस्तर 1.5 मीटर बढ़ जाए। शैकलटन आइस शेल्फ पूर्वी अंटार्कटिका की सबसे उत्तरी शेल्फ है। वैज्ञानिकों जानना चाहते थे कि गर्म पानी इनके नीचे पहुंच रहा है या नहीं। यह काम अब रोबोट ने कर दिया।
रोबोट ने 300 किमी का सफर तय किया
रोबोट टॉटन से बहकर डेनमन के पास पहुंचा। वहां गर्म पानी बर्फ के नीचे जा रहा था, जो पिघलने का कारण बन सकता है। फिर रोबोट बर्फ के नीचे चला गया। वैज्ञानिकों को लगा कि अब यह कभी नहीं लौटेगा। लेकिन नौ महीने बाद यह डेनमन और शैकलटन के नीचे से निकलकर बाहर आ गया। इस दौरान इसने 300 किलोमीटर का सफर तय किया और करीब 200 बार डेटा लिया। बर्फ के नीचे होने से GPS नहीं मिलता था, लेकिन रोबोट जब बर्फ से टकराता तो मोटाई नाप लेता। सैटेलाइट की पुरानी जानकारी से मिलाकर वैज्ञानिकों ने इसका रास्ता पता कर लिया।
वैज्ञानिक ऐसे कई और रोबोट भेजेंगे
डेटा से पता चला कि शैकलटन आइस शेल्फ के नीचे अभी गर्म पानी नहीं पहुंच रहा। वहां पानी ठंडा है और बर्फ फिलहाल सुरक्षित है। लेकिन डेनमन के नीचे गर्म पानी जा रहा है, जो बर्फ पिघला रहा है। अगर गर्म पानी की मात्रा थोड़ी भी बढ़ी तो पिघलना तेज हो जाएगा और बर्फ तेजी से पिघलने लगेगी है। टॉटन और डेनमन दोनों ग्लेशियर मिलकर समुद्र स्तर को पांच मीटर तक बढ़ा सकते हैं। ये नई जानकारी वैज्ञानिकों को जलवायु मॉडल बेहतर बनाने में मदद करेगी। वैज्ञानिक अब और ऐसे रोबोट भेजने की योजना बना रहे हैं।














