आर्सेन ओस्ट्रोव्स्की दो हफ्ते पहले ही इजरायल से ऑस्ट्रेलिया वापस आए थे। वो ऑस्ट्रेलिया-इजरायल और यहूदी मामलों की काउंसिल AIJAC के सिडनी ऑफिस की कमान संभालने वाले थे। रविवार को सिडनी के बोंडी बीच पर हनुक्का उत्सव पर हुए हमले के दौरान वो भी वहीं मौजूद थे और उन्हें भी गोली लगी है। इस हमले में 15 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। वहीं, एक आतंकी भी मारा गया है। ओस्ट्रोव्स्की, जो बचपन में सोवियत संघ छोड़ने के बाद सिडनी में पले-बढ़े थे, उनके सिर में चोट लगी है और उनका मौके पर ही इलाज किया गया।
चश्मदीदों ने सुनाई खौफनाक कहानी
आर्सेन ओस्ट्रोव्स्की ने एक स्थानीय अखबार को बताया कि “सच में बहुत अफरा-तफरी थी। हमें नहीं पता था कि क्या हो रहा है, गोलीबारी कहां से हो रही है। मैंने देखा कि मेरे शरीर से खून बह रहा था। मैंने लोगों को गोली लगते देखा, लोगों को जमीन पर गिरते देखा।” आर्सेन ओस्ट्रोव्स्की को इस दौरान खून से लथपथ देखा जा रहा था। उनके सिर पर पट्टी बंधी थी और उनके चेहरे और कपड़े खून से सने थे। उन्होंने कहा कि “मेरी एकमात्र चिंता यह थी कि मेरे बच्चे कहां हैं? मेरे बच्चे कहां हैं? मेरी पत्नी कहां है, मेरा परिवार कहां है?” उन्होंने कहा कि “कुछ समय के लिए मेरा परिवार नहीं मिल रहा था, लेकिन बाद में वो सभी सुरक्षित मिल गये।”
वहीं, एक और प्रत्यक्षदर्शी और स्टेट इमरजेंसी सर्विस के यहूदी चैपलिन व्लाद ने स्थानीय मीडिया को बताया कि “यह हमला पूरी तरह से खूनखराबा था।” उन्होंने कहा कि “घायल लोगों को समय पर एंबुलेंस नहीं मिल पाने की वजह से दो और लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक बुजुर्ग महिला और एक बुजुर्ग पुरुष शामिल थे।” आपको बता दें कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस आतंकी हमले के बाद कहा है कि इजरायल ने कई बार ऑस्ट्रेलिया सरकार को संभावित आतंकी हमले के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने कुछ नहीं किया।
ऑस्ट्रेलिया में यहूदियों के दिल पर हमला
आपको बता दें कि यह हमला सिडनी के यहूदी समुदाय के दिल पर सीधा प्रहार माना जा रहा है। बोंडी बीच इलाका, ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े यहूदी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, जहां करीब 40,000 यहूदी रहते हैं। हनुक्का उत्सव के पहले दिन आयोजित इस समुद्र-तटीय कार्यक्रम में करीब 1,000 लोग मौजूद थे। व्लाद ने बताया कि इस हमले में उनके अपने समुदाय के कई परिचित लोग मारे गए हैं, जिनमें उनके रब्बी भी शामिल थे। उन्होंने अपने 8 साल के बेटे को गोलियों से बचाने के लिए अपने शरीर से ढक लिया था। उन्होंने कहा कि “जो मारे गये हैं वो अजनबी नहीं थे, बल्कि वो सभी हमारे ही लोग थे, जिनसे हम हर रोज मिलते थे।”















