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  • अनुकंपा के आधार पर नौकरी ऊंचे पदों पर पहुंचने की सीढ़ी नहीं… सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटा

    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी उच्च पदों पर पहुंचने की सीढ़ी नहीं है। इसी के साथ सर्वोच्च अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि माता-पिता की नौकरी के दौरान मौत होने पर पारिवारिक मुश्किलों को कम करने के


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 15, 2025
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    नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में कहा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी उच्च पदों पर पहुंचने की सीढ़ी नहीं है। इसी के साथ सर्वोच्च अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि माता-पिता की नौकरी के दौरान मौत होने पर पारिवारिक मुश्किलों को कम करने के लिए अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाला व्यक्ति सिर्फ इसलिए ऊंचे पदों पर नियुक्ति की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि उनके पास इसके लिए जरूरी योग्यता है।

    सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा

    जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट के एक फैसले को पलट दिया। इसमें तमिलनाडु सरकार को दो लोगों को जूनियर असिस्टेंट के पद पर प्रमोट करने का निर्देश दिया गया था। इन दोनों को उनके पिता की मौत के कारण सहानुभूति के आधार पर शुरू में स्वीपर के तौर पर नियुक्त किया गया था। ऐसा इसलिए क्योंकि 2007 और 2012 में उनकी नियुक्ति के समय उनके पास उस पद के लिए जरूरी योग्यता थी। दोनों ने 2015 में हाई कोर्ट का रुख किया था।

    मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को पलटा

    बेंच ने कहा कि नौकरी के दौरान मरने वाले कर्मचारी के योग्य रिश्तेदार को सहानुभूति के आधार पर नौकरी इसलिए दी जाती है ताकि मृतक के परिवार को मुश्किल समय से निकलने में मदद मिल सके। पीठ ने कहा कि ऐसी नियुक्ति जो असाधारण परिस्थितियों में होती है, उसे सिर्फ इस आधार पर ऊंचे पद का दावा करके सीनियरिटी में आगे बढ़ने की सीढ़ी के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता कि वह उस पद के लिए योग्य है।

    सहानुभूति के आधार पर नौकरी को लेकर क्या बोले जस्टिस बिंदल

    जस्टिस बिंदल ने फैसला में कहा कि एक बार जब मृतक कर्मचारी के आश्रित को सहानुभूति के आधार पर नौकरी दे दी जाती है, तो उसका अधिकार खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि इसके बाद, ऊंचे पद पर नियुक्ति की मांग करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। नहीं तो, यह ‘कभी न खत्म होने वाली सहानुभूति’ का मामला होगा। शीर्ष कोर्ट ने आगे कहा कि दूसरी नौकरियों के लिए भर्ती नियमों और कायदों के तहत होती है, जो सभी योग्य उम्मीदवारों पर लागू होते हैं। इसलिए, यह गलत होगा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाले व्यक्ति को भर्ती प्रक्रिया को दरकिनार कर सीधे प्रमोशन मिल जाए।

    शीर्ष अदालत ने बताया क्यों प्रमोशन देना गलत होगा

    सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने आगे कहा कि अनुकंपा के आधार पर नौकरी पाने वाला व्यक्ति किसी ऊंचे पद के लिए योग्य हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसे उस पद पर नियुक्त होने का अधिकार है। यह नियमों, नीति और उस श्रेणी में उपलब्ध रिक्तियों की संख्या पर निर्भर करता है।

    असल में, यह भर्ती का कोई अतिरिक्त जरिया नहीं है, बल्कि सरकारी नौकरियों में सभी को समान अवसर देने के सामान्य नियम का एक अपवाद है। ऐसे में सहानुभूति के आधार पर नौकरी पाने वाले व्यक्ति को भर्ती प्रक्रिया को बायपास करने और प्रमोशन पाने की अनुमति देना गलत होगा।

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