फील्ड मार्शल मुनीर ने अपने भाषण में कहा, ‘टीटीपी के वे फॉर्मेशन जो पाकिस्तान में घुसपैठ कर रहे हैं, उनमें 70 प्रतिशत अफगानी हैं। अफगानिस्तान में रहकर ये हमारे पाकिस्तानी बच्चों का खून बहा रहा है। हम अफगान तालिबान से साफ कहना चाहते हैं कि उन्हें पाकिस्तान और टीटीपी के बीच चुनाव करना होगा।’
अफगान-पाकिस्तान तनाव
एबीसी न्यूज के अनुसार, यह बयान पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव की पृष्ठभूमि में आया है। इस्लामाबाद ने बार-बार काबुल से कहा है कि वह अपनी जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान विरोधी आतंकी हमलों के लिए ना होने दे। काबुल इन आरोपों से इनकार करता रहा है। मुनीर ने टीटीपी को फितना अल-ख्वारिज बताते हुए कहा कि 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद वह अधिक सक्रिय हो गया है।
टीटीपी वही गुट है, जिसे कभी पालने-पोसने का काम पाकिस्तान ने बखूबी निभाया था। इस्लामाबाद ने 1990 के दशक से तालिबान को अपना इकबाल बुलंद करने के इरादे से औजार की तरह इस्तेमाल किया। भारत से बदला लेने के चक्कर में अफगानिस्तान को ‘स्ट्रैटजिक डेप्थ’ बनाने की कोशिश की। एक तरफ उसने आतंकवाद की निंदा की, दूसरी तरफ चरमपंथी समूहों को फलने-फूलने में पूरी मदद पेश की।
टीटीपी के पास खतरनाक हथियार
इस्लामाबाद दावा करता रहता है कि टीटीपी अफगानिस्तान से संचालित होकर पाकिस्तान में इस्लामिक कानून लागू करने और तालिबान जैसी शासन व्यवस्था लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। तालिबान सरकार इन आरोपों को खारिज करती है। यूनाइटेड नेशंस की रिपोर्ट में हालांकि ये कहा गया है कि टीटीपी के लड़ाके अफगानिस्तान में रहते हैं। उनके हाथों में वो हथियार आ गए हैं, जो साल 2021 में अमेरिका छोड़कर गए थे।














