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  • रिजर्व बैंक ने बेच डाले 11900000000 डॉलर, गिरते रुपये को बचाने के लिए किया यह सब

    नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) ने अक्टूबर 2025 में रुपये को सहारा देने के लिए शुद्ध रूप से 11.9 अरब डॉलर बेचे। इससे यह साफ हो गया है कि आरबीआई ही करेंसी मार्केट में स्थिरता बनाए रखने वाली मुख्य शक्ति है। आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन के आंकड़ों से पता चलता है कि


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 23, 2025
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    नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ( आरबीआई ) ने अक्टूबर 2025 में रुपये को सहारा देने के लिए शुद्ध रूप से 11.9 अरब डॉलर बेचे। इससे यह साफ हो गया है कि आरबीआई ही करेंसी मार्केट में स्थिरता बनाए रखने वाली मुख्य शक्ति है। आरबीआई के दिसंबर बुलेटिन के आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय बैंक ने पूरे वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) में स्पॉट और फॉरवर्ड दोनों बाजारों में सक्रिय भूमिका निभाई। इसका मकसद रुपये में उतार-चढ़ाव को कम करना और बाजार को व्यवस्थित रखना था।

    स्पॉट मार्केट, जिसे ओवर-द-काउंटर (OTC) मार्केट भी कहते हैं, में केंद्रीय बैंक आरबीआई ने लिक्विडिटी प्रदान करने के लिए डॉलर खरीदे जाने से ज्यादा बेचे। अक्टूबर में डॉलर की कुल खरीद सितंबर के 2.2 अरब डॉलर से बढ़कर 704% उछलकर 17.7 अरब डॉलर हो गई। वहीं, डॉलर की कुल बिक्री 192% बढ़कर 29.6 अरब डॉलर तक पहुंच गई। इस वजह से अक्टूबर में शुद्ध डॉलर बिक्री 11.9 अरब डॉलर रही, जो सितंबर के 7.9 अरब डॉलर से 50% ज्यादा है। यह दिखाता है कि रुपये पर पड़ रहे दबाव को रोकने के लिए आरबीआई ने और भी ज्यादा हस्तक्षेप किया। कुल मिलाकर, अक्टूबर 2025 तक FY25 में आरबीआई की शुद्ध डॉलर बिक्री 34.5 अरब डॉलर रही, जो कॉन्ट्रैक्ट रेट पर 2,91,233 करोड़ रुपये के बराबर है।
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    रिजर्व बैंक ने ये कदम भी उठाए

    स्पॉट मार्केट में दखल देने के साथ-साथ, RBI ने भविष्य की उम्मीदों को प्रभावित करने के लिए फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स का भी सहारा लिया। इससे तुरंत विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल नहीं हुआ। अक्टूबर के अंत तक शुद्ध फॉरवर्ड बिक्री सितंबर के अंत के 59.4 अरब डॉलर से 7.1% बढ़कर 63.6 अरब डॉलर हो गई। यह बड़ी फॉरवर्ड पोजीशन एक बफर (सुरक्षा कवच) की तरह काम करती है। यह बाजारों को भरोसा दिलाती है कि जरूरत पड़ने पर भविष्य में डॉलर उपलब्ध कराए जाएंगे।

    न्यूट्रल रखी पोजीशन

    एक्सचेंज-ट्रेडेड करेंसी फ्यूचर्स मार्केट में आरबीआई ने अपनी शुद्ध पोजीशन को न्यूट्रल रखा। अक्टूबर में, RBI ने 2.3 अरब डॉलर खरीदे और 2.3 अरब डॉलर ही बेचे, जिससे शुद्ध खरीद या बिक्री कुछ भी नहीं हुई। इसके बावजूद, ट्रेडिंग की गतिविधि में भारी उछाल आया, कुल वॉल्यूम सितंबर की तुलना में 73.5% बढ़ गया। अक्टूबर के अंत तक, शुद्ध फ्यूचर्स बिक्री 9.8% घटकर 1.4 अरब डॉलर रह गई।

    क्या रहा रिजर्व बैंक का प्रयास

    आंकड़े यह भी बताते हैं कि आरबीआई रुपये को 89 के स्तर तक गिरने से बचा रहा था। अक्टूबर में प्रभावी हस्तक्षेप मूल्य (effective intervention price) लगभग 88.25 रुपये प्रति डॉलर रहा, जो सितंबर के 88.35 रुपये प्रति डॉलर से थोड़ा ही कम है। यह तब हुआ जब बेचे गए डॉलर की मात्रा में काफी बढ़ोतरी हुई थी। इससे पता चलता है कि अस्थिरता भरे दौर में रुपये को 89 रुपये के निशान से नीचे कमजोर होने से रोकने के प्रयास किए गए।

    डॉलर के मुकाबले कहां पहुंचा रुपया

    सोमवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले थोड़ा कमजोर हुआ। पिछले तीन दिनों से रुपया मजबूत हो रहा था, लेकिन यह 90 के स्तर को पार नहीं कर पाया। स्थानीय कंपनियों की डॉलर खरीदने की मांग और नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड्स (NDF) मार्केट के दबाव के कारण रुपये में गिरावट आई। इन वजहों ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किए गए हस्तक्षेप से मिली मजबूती को कम कर दिया। रुपया शुक्रवार को 89.27 पर बंद हुआ था, लेकिन सोमवार को यह 0.4% गिरकर 89.65 पर आ गया। दिन के कारोबार में रुपया 89.45 से 89.72 के बीच रहा।

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