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  • नेवी का स्टिच्ड शिप निकलेगा अपनी पहली समुद्री यात्रा पर, पोरबंदर से मस्कट फिर बाली जाने का प्लान

    नई दिल्ली : इंडियन नेवी का अनोखा स्टिच्ड शिप (सिला हुआ नौकायन पोत) आईएनएसवी कौंडिन्य अपनी पहली समुद्री यात्रा शुरू करने वाला है। इसकी पहली समुद्री यात्रा गुजरात के पोरबंदर से शुरू होगी और यह ओमान के मस्कट जाएगा। इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्लैगऑफ करेंगे। कौंडिन्य की यात्रा ऐतिहासिक समुद्री मार्गों को प्रतीकात्मक रूप


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 23, 2025
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    नई दिल्ली : इंडियन नेवी का अनोखा स्टिच्ड शिप (सिला हुआ नौकायन पोत) आईएनएसवी कौंडिन्य अपनी पहली समुद्री यात्रा शुरू करने वाला है। इसकी पहली समुद्री यात्रा गुजरात के पोरबंदर से शुरू होगी और यह ओमान के मस्कट जाएगा। इसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह फ्लैगऑफ करेंगे। कौंडिन्य की यात्रा ऐतिहासिक समुद्री मार्गों को प्रतीकात्मक रूप से दोहराएगी।

    आईएनएसवी कौंडिन्य की पहली समुद्र यात्रा

    नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने कहा कि आईएनएसवी कौंडिन्य भारत की प्राचीन जहाज निर्माण और समुद्री यात्रा की परंपराओं को फिर से जीवित करता है। यात्रा उन पुराने समुद्री मार्गों की याद दिलाएगी, जिनके जरिए भारत हजारों सालों तक हिंद महासागर के देशों से जुड़ा रहा। प्राचीन भारतीय जहाजों के चित्रों से प्रेरित होकर बने इस जहाज का निर्माण पूरी तरह पारंपरिक तकनीक से किया गया है।

    क्या है आईएनएसवी कौंडिन्य का इतिहास

    आईएनएसवी कौंडिन्य इतिहास, कारीगरी और आधुनिक नौसैनिक कौशल का अनोखा मेल है। आधुनिक जहाजों के विपरीत, इसके लकड़ी के तख्तों को कीलों से नहीं बल्कि नारियल की रस्सी से सिला गया है और प्राकृतिक गोंद से जोड़ा गया है। यह वही तकनीक है जो कभी भारत के तटों और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में प्रचलित थी।

    इसी तकनीक की मदद से भारतीय नाविक आधुनिक नेविगेशन और धातु तकनीक के आने से बहुत पहले पश्चिम एशिया, अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया तक लंबी समुद्री यात्राएं करते थे।

    पहले मस्कट, फिर बाली का प्लान

    सूत्रों के मुताबिक आईएनएसवी कौंडिन्य की मस्कट यात्रा करीब दो हफ्तों में पूरी होगी। बाद में ये बाली भी जाएगा। ये भी उसी मार्ग से होगी जो हजारों साल पहले व्यापार का पारंपरिक मार्ग रहा है। जिसके बाद आईएनएसवी कौंडिन्य को नेशनल मेरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स में रखा जाएगा, ये गुजरात के लोथल में है।

    फिर रखा जाएगा म्यूजियम में

    आईएनएसवी कौंडिन्य के जरिए दुनिया को भारत की मेरीटाइम हेरिटेज से रू-ब-रू कराया जा रहा है। साथ ही यह संदेश भी दिया जा रहा है कि भारत में जहाज बनाने (शिप बिल्डिंग) की कला सदियों से है। इस शिप का नाम प्रसिद्ध नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में भारत से दक्षिण-पूर्व एशिया तक समुद्री यात्रा की थी।

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