भारत से चावल खरीदेगा बांग्लादेश
बांग्लादेश ने भारत से कूटनीतिक जंग तो छेड़ रखी है, लेकिन कुछ ही दिन में उसके जमीनी हालातों ने उसे घुटने टेकने को मजबूर कर दिए हैं। मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार को यह मालूम हो गया है कि भारत से मिलने वाली चीजों की सस्ती सप्लाई को नजरअंदाज किया तो वहां पहले से ही धाराशायी अर्थव्यवस्था बिल्कुल ही चरमारा जाएगी। यूनुस सरकार के खजाने में इतने टका नहीं हैं कि वे पाकिस्तान के महंगे चावल के भरोसे बैठ जाएं। इसलिए, इसने भारत के सामने हाथ फैला दिए हैं।
मुस्लिम पाकिस्तान दे रहा महंगा चावल
बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार के मुताबिक मुश्किल हालात में बांग्लादेश ने भारत से 50,000 टन चावल आयात करने का फैसला किया है, जो कि करीब 355 डॉलर प्रति टन के हिसाब से होगा। क्योंकि, जिस पाकिस्तान के बहकाने पर यूनुस सरकार कूद रही है, वह भी इस्लाम का झांसा देकर इतने ही चावल के लिए उससे 395 डॉलर वसूल रहा है। बांग्लादेशी अधिकारियों का कहना है कि भारत से सस्ता चावल वियतनाम से भी मिलना नामुमकिन है।
पांच खाद्य पदार्थों के लिए भारत भरोसे
पिछले साल की ही बात है। बांग्लादेश ने भारत को भरोसेमंद पड़ोसी होने का वास्ता देकर खाने-पीने की कम से कम पांच चीजों को लेकर पूरे साल भर के लिए आश्वासन मांग लिया था। तब बांग्लादेश में शेख हसीना की अगुवाई वाली अवामी लीग की सरकार थी। उसने भारत से कीमतों में उतार-चढ़ाव और खाद्य पदार्थों की किल्लतों से निपटने के लिए चावल और गेहूं समेत पांच चीजों की पूरे साल सप्लाई का भरोसा मांग लिया था।
बांग्लादेश ने बढ़ाया 5 चीजों का आयात
चावल और गेहूं के अलावा बांग्लादेश जिन खाद्य पदार्थों के लिए पूरी तरह से भारत का मुंह ताकता रहा है, उनमें चीनी, प्याज और लहसुन शामिल हैं। वित्त वर्ष 2021-22 और 2022-23 के आंकड़े देखने से पता चलता है कि इन पांचों ही खाद्य पदार्थों का बांग्लादेश में हुए आयात में काफी बढ़ोतरी हुई है। भारत ने भी पिछले वर्षों में कई बार घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए गेहूं, चावल या प्याज के निर्यात को नियंत्रित किया है, लेकिन फिर भी बांग्लादेश जैसे पड़ोसियों को उसने हमेशा ख्याल रखा है।
यूनुस सरकार के होश ठिकाने आए?
यूनुस की सरकार ने बांग्लादेश की हालात बहुत खराब कर दी है। वहां विशेष रूप से हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए मुस्लिम कट्टरपंथियों को एक तरह से छूट मिल चुकी है। हालांकि, फिर भी भारत ने बिगड़ते द्विपक्षीय संबंधों के बावजूद खाद्य सुरक्षा को कूटनीतिक गतिरोध से दूर रखने की कोशिश की है। बांग्लादेश को भी यह बात समझ में आ गई है कि अगर रिश्ते बेहतर करने की कोशिश नहीं की गई,तो उसके सामने खाद्य संकट भी खड़े होते देर नहीं लगेगी।















