थाई सेना ने हिंदू देवता की मूर्ति क्यों तोड़ी?
यह तोड़फोड़ धार्मिक दुश्मनी से नहीं, बल्कि क्षेत्रीय दावों के कारण हुई है। यह मूर्ति 2013 में कंबोडियाई सेना ने उस जमीन पर लगाई गई थी जिसे थाईलैंड अपना इलाका मानता है। यह उबोन रत्चथानी प्रांत के चोंग आन मा इलाके में एक कसीनो के पास भी स्थित है। थाई सेना के लिए, मूर्ति को नष्ट करना उस जमीन पर थाई संप्रभुता को जाहिर करने के बारे में था, जब उनकी सेना ने उस इलाके पर फिर से नियंत्रण हासिल कर लिया था।
कंबोडिया ने गुस्से का किया इजहार
कंबोडियाई सरकार के प्रवक्ता किम चानपान्हा ने कहा, “यह मूर्ति एन सेस इलाके में हमारे इलाके के अंदर थी।” गूगल मैप के अनुसार, यह पाया गया कि मूर्ति की जगह बॉर्डर लाइन से लगभग 400 मीटर दूर थी। चानपान्हा ने कहा, “हम पुराने मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने की निंदा करते हैं, जिनकी पूजा बौद्ध और हिंदू धर्म के लोग करते हैं।”
दोनों देशों की हिंदू-बौद्ध जनसंख्या
थाईलैंड और कंबोडिया दोनों अब मुख्य रूप से बौद्ध देश हैं, लेकिन उनकी जड़ें हिंदू धर्म से जुड़ी हैं। कुछ लोग तो भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार भी मानते हैं। बताया जा रहा है कि यह मूर्ति प्रेह विहार मंदिर परिसर में या उसके पास स्थित थी। 1962 में, अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने इस परिसर पर क्षेत्रीय दावों पर कंबोडिया के पक्ष में फैसला सुनाया था। लेकिन थाईलैंड ने इस फैसले को खारिज कर दिया था।
भारत में लोगों में भारी गुस्सा
भारत में सोशल मीडिया यूजर्स कंबोडिया में हिंदू देवता की मूर्ति गिराए जाने को लेकर थाईलैंड के खिलाफ नाराजगी जता रहे हैं। यूजर्स ने इसे धार्मिक अपमान बताया है। एक X यूजर ने लिखा, “सीमा विवाद की आड़ में हिंदू देवता की मूर्ति को नष्ट करना अस्वीकार्य है… आस्था और विरासत पर हमला केवल असहिष्णुता को दिखाता है।” दूसरे ने लिखा, “थाई सेना को हिंदू मंदिर को नष्ट करते हुए देखकर शर्म आती है, भगवान आपको देखें,” एक यूज़र ने कहा, जबकि दूसरे ने कहा, “अब तो थाईलैंड भी हमें आँखें दिखा रहा है… भारत सरकार को सनातन धर्म को बचाने के लिए जवाबी कार्रवाई करनी चाहिए।”















