K-4 बैलिस्टिक मिसाइल क्यों है खास
बांग्लादेश की नाक के नीचे जिस तरह से भारत ने बंगाल की खाड़ी में इस मिसाइल की टेस्टिंग की है वो बेहद अहम है। K-4 बैलिस्टिक मिसाइल भारत की परमाणु हथियार क्षमता को मजबूती देने में अहम रोल निभाएगा। रक्षा मंत्रालय ने इस परीक्षण पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, हालांकि, सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि सॉलिड-फ्यूल वाली ये K-4 मिसाइल है, जो दो टन का परमाणु पेलोड ले जा सकती है। यह परीक्षण भारत की समुद्री परमाणु क्षमता को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।
आईएनएस अरिघात से टेस्टिंग
ये मिसाइल परीक्षण विशाखापत्तनम के तट से किया गया था। आईएनएस अरिघात 6000 टन की पनडुब्बी है, जिसे तीनों सेनाओं के रणनीतिक फोर्स कमांड से संचालित किया जाता है। सूत्र ने बताया कि इस मिसाइल परीक्षण से इसके सभी टेक्निकल पैरामीटर और मिशन का विस्तृत विश्लेषण किया जाएगा। बीते कुछ कुछ साल के दौरान पनडुब्बी जैसे प्लेटफॉर्म से कई परीक्षणों के बाद, दो-फेज वाली K-4 मिसाइल का पहला परीक्षण आईएनएस अरिघात से नवंबर 2023 में हुआ था।
आईएनएस अरिघात मॉडर्न परमाणु पनडुब्बी
आईएनएस अरिघात, भारत की दूसरी बेहद मॉडर्न परमाणु-संचालित पनडुब्बी है जो परमाणु-युक्त बैलिस्टिक मिसाइलों को ले जा सकती है। इसे 29 अगस्त 2023 को नौसेना में शामिल किया गया था। इससे पहले, आईएनएस अरिहंत, जो 2018 में पूरी तरह से एक्टिव हुई थी, केवल 750 किलोमीटर की रेंज वाली के-15 मिसाइलों को ले जा सकती है। K-4 बैलिस्टिक मिसाइलों की तैनाती के बाद, 5000 से 6000 किलोमीटर की रेंज वाली K-5 और K-6 मिसाइलें भी आएंगी।
लगातार सैन्य ताकत बढ़ा रहा भारत
भारत अपनी तीसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को 2026 की पहली तिमाही में और चौथी पनडुब्बी को 2027-28 में शामिल करेगा। यह सब दशकों पहले शुरू हुए सीक्रेट 90000 करोड़ रुपये के एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल कार्यक्रम के तहत हो रहा है। ये दोनों नई पनडुब्बियां पहली दो 6000 टन की पनडुब्बियों से थोड़ी बड़ी होंगी, जिनका वजन 7,000 टन होगा। भविष्य में 13,500 टन की परमाणु पनडुब्बियां बनाने की भी योजना है। इन पनडुब्बियों में मौजूदा 83 मेगावाट के रिएक्टरों के बजाय 190 मेगावाट के अधिक शक्तिशाली प्रेशराइज्ड लाइट-वाटर रिएक्टर लगे होंगे।
दुश्मन देशों को करारा जवाब
भारत ने जिस तरह से K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, वो दूसरे परमाणु संपन्न देशों के लिए अहम संदेश है। भारत का ये एक्शन अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों के बीच की खाई को कुछ हद तक पाटने में मदद करेगी, जिनके पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। दरअसल, पनडुब्बियों से मिसाइल दागना मुश्किल होता है और दुश्मनों को इसका पता लगाना लगभग नामुमकिन होता है। ऐसे अगर कभी जंग जैसे हालात बने तो ये पनडुब्बियां चुपके से अटैक करके दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं।
बांग्लादेश के लिए क्यों है कड़ा संदेश
फिलहाल भारत ने जिस तरह से बंगाल की खाड़ी में K-4 मिसाइल टेस्ट किया, इसके बाद लगातार प्रदर्शनों से बुरी तरह अस्थिर बांग्लादेश ही नहीं पाकिस्तान की मौजूदा सरकार भी जरूर हिल गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अपनी सैन्य शक्ति को पॉवरफुल बनाने में कोई कोताही नहीं बरतना चाहती। यही नहीं इन परीक्षणों के जरिए भारत उन देशों को भी कूटनीतिक जवाब दे रहा जो कहीं न कहीं साजिश की कोशिश भी कर रहे।















