पाकिस्तान क्रिश्चियन पोस्ट में किए गए दावे के मुताबिक, पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के पिता उस समय तक हिंदू थे, जब जिन्ना का जन्म हुआ था। यानी जन्म के समय जिन्ना हिंदू ही थे। उनके पिता ने बाद में उनको इस्लाम धर्म में दाखिल कराया। इसकी वजह ये थी कि पिता और जिन्ना के दादा को मछली के व्यवसाय में होने के कारण सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ा था।
दादा के व्यवसाय से बिगड़ी बात
रिपोर्ट कहती है कि जिन्ना के पिता पुंजालाल ठक्कर गुजरात के काठियावाड़ में स्थानीय हिंदुओं के विरोध के बाद कराची में रहे थे। इस समय जिन्ना छोटे थे और उनकी स्कूली शिक्षा कराची में ही हुई। जिन्ना का नाम मैट्रिक परीक्षा में एम जेड ठक्कर लिखा हुआ है। दसवीं के बाद में उनके पिता ने धर्म बदला को जिन्ना का नाम भी बदला गया।
जिन्ना के दादा प्रेमजीभाई ठक्कर एक लोहाना हिंदू थे, जो पोरबंदर के पास मोती पानेली गांव के निवासी थे। उन्होंने वेरावल शहर से मछली का व्यवसाय शुरू किया था, जिस पर लोहाना हिंदू समुदाय ने उनको समाज से बहिष्कृत कर दिया। इस पर नाराज होकर प्रेमजीभाई ठक्कर के बेटे पुंजालाल ठक्कर ने आगा खान संप्रदाय का शिया इस्लाम अपना लिया।
मस्जिद में बदले नाम
रिपोर्ट कहती है कि इस्लाम अपनाने के बाद पुंजालाल ठक्कर ने राजकोट की आगा खानी मस्जिद में मोहम्मद अली जिन्ना सहित अपने चार बेटों के नाम बदल दिए। जिन्ना बाद में मशहूर वकील बने और पहले कांग्रेस और फिर मुस्लिम लीग के बड़े नेता बने। जिन्ना ने ही पाकिस्तान का आंदोलन खड़ा किया और बंटवारा किया।
इस्लामी देश पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के बारे में ये भी एक ज्ञात तथ्य है कि वह लंबे समय तक मुस्लिम दक्षिणपंथियों में बिल्कुल लोकप्रिय नहीं थे। साल 1937 के बाद ही उन्होंने शेरवानी और टोपी पहनना शुरू किया। इससे पहले तक उनका रहन-सहन पश्चिम से बहुत ज्यादा प्रभावित रहा।















