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  • अपने स्टाफ के लिए अड़ गया बॉस, नए मालिक से दिलवाया लाखों डॉलर का बोनस

    नई दिल्ली: अमेरिका में एक कंपनी के मालिक ने अपने कर्मचारियों की परवाह करके बिजनेस की दुनिया में एक मिसाल कायम की है। फाइबरबॉन्ड कंपनी के मालिक ग्राहम वॉकर ने अपनी कंपनी ईटन को बेच दी है। लेकिन इस सौदे में उन्होंने एक अनोखी शर्त रखी। उन्होंने खरीदार से कहा कि बिक्री की रकम का


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    By Azad Hind Desk दिसम्बर 26, 2025
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    नई दिल्ली: अमेरिका में एक कंपनी के मालिक ने अपने कर्मचारियों की परवाह करके बिजनेस की दुनिया में एक मिसाल कायम की है। फाइबरबॉन्ड कंपनी के मालिक ग्राहम वॉकर ने अपनी कंपनी ईटन को बेच दी है। लेकिन इस सौदे में उन्होंने एक अनोखी शर्त रखी। उन्होंने खरीदार से कहा कि बिक्री की रकम का 15 फीसदी हिस्सा कर्मचारियों को देना होगा और इस पर कोई मोलभाव नहीं हो सकता है। यह स्थिति तब थी जबकि कर्मचारियों के पास कंपनी के कोई शेयर नहीं थे।

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ग्राहम वॉकर ने अपनी कंपनी को 1.7 बिलियन डॉलर में बेचा और कंपनी के सभी 540 फुल-टाइम कर्मचारियों को 240 मिलियन डॉलर का बोनस दिया। हर कर्मचारी को एक लाख डॉलर से ज्यादा बोनस मिला। यह सौदा इसी साल पूरा हुआ जब ईटन ने फाइबरबॉन्ड को खरीद लिया। इस सौदे के बाद 540 फुल-टाइम कर्मचारियों को पैसे मिले। हर कर्मचारी को औसतन लगभग 443,000 डॉलर मिले जो पांच साल में दिए जाएंगे।

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    पुराने कर्मचारियों को ज्यादा बोनस

    कंपनी में लंबे समय तक काम करने वाले कर्मचारियों को ज्यादा पैसे मिले। जून में कर्मचारियों को सीलबंद लिफाफे मिलने शुरू हुए, जिनमें उनके हिस्से के बोनस की जानकारी थी। इससे कुछ कर्मचारी तो भावुक हो गए, जबकि कुछ को लगा कि यह कोई मजाक है। इनमें लेसिया की भी शामिल थीं जो 29 साल से फाइबरबॉन्ड में काम कर रही थीं उन्होंने 1995 में 5.35 डॉलर प्रति घंटे की तनख्वाह पर काम शुरू किया था।

    लेसिया की ने जब अपना लिफाफा खोला तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। अब 51 साल की हो चुकी लेसिया की ने फाइबरबॉन्ड के 254 एकड़ के कैंपस में अलग-अलग जगहों की देखरेख की जिम्मेदारी संभाली थी और 18 लोगों की टीम को मैनेज करती थीं। उन्होंने अपने बोनस का इस्तेमाल अपना होम लोन चुकाने और पास के शहर में एक कपड़ों की दुकान खोलने के लिए किया। उन्होंने कहा, “पहले हम बस एक सैलरी से दूसरी सैलरी तक जी रहे थे। अब मैं जी सकती हूं।”

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    कंपनी की शुरुआत

    लंबे समय से असिस्टेंट मैनेजर रहीं 67 साल की हांग ब्लैकवेल को बोनस के रूप में लाखों डॉलर मिले और उन्होंने तुरंत रिटायरमेंट ले ली। मूल रूप से वियतनाम की रहने वाली ब्लैकवेल ने फाइबरबॉन्ड के लॉजिस्टिक्स विभाग में 15 साल से ज्यादा काम किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने बोनस का एक हिस्सा अपने पति के लिए टोयोटा टैकोमा कार खरीदने में इस्तेमाल किया और बाकी पैसे बचा लिए।

    फाइबरबॉन्ड की शुरुआत 1982 में वॉकर के पिता क्लाउड वॉकर ने की थी। तब कंपनी में सिर्फ एक दर्जन कर्मचारी थे। कंपनी बिजली और टेलीकॉम उपकरणों के लिए शेल्टर बनाती थी। 1990 के दशक में सेलुलर फोन के बूम के दौरान कंपनी ने खूब तरक्की की। लेकिन 1998 में कंपनी की फैक्ट्री आग लगने से जलकर खाक हो गई तो कंपनी लगभग डूबने की कगार पर आ गई। वॉकर परिवार ने उत्पादन रुकने के बावजूद कर्मचारियों को तनख्वाह देना जारी रखा।

    उतार-चढ़ाव

    साल 2000 के दशक की शुरुआत में डॉट-कॉम का बुलबुला फूटने के कारण फाइबरबॉन्ड के ग्राहकों की संख्या घटकर सिर्फ तीन रह गई थी। इससे छंटनी करनी पड़ी और कर्मचारियों की संख्या लगभग 900 से घटकर 320 रह गई। कंपनी का कायापलट तब हुआ जब उसने डेटा सेंटरों के लिए मॉड्यूलर पावर एन्क्लोजर बनाने में 150 मिलियन डॉलर का जोखिम भरा निवेश किया। यह दांव तब चला जब महामारी के दौरान क्लाउड कंप्यूटिंग की मांग बढ़ी।

    पिछले पांच साल में बिक्री में लगभग 400% की बढ़ोतरी हुई जिससे बड़ी कंपनियों ने इसे खरीदने में दिलचस्पी दिखाई। वॉकर ने हर संभावित खरीदार से एक ही बात कही कि बिक्री की कीमत का 15% कर्मचारियों को मिलना चाहिए। सलाहकारों ने उन्हें चेतावनी दी थी कि यह शर्त सौदे को जटिल बना सकती है या उन पूर्व कर्मचारियों की ओर से मुकदमेबाजी को बढ़ावा दे सकती है जिन्हें यह पैसा नहीं मिला। इसके बावजूद, वॉकर अपने फैसले पर कायम रहे।

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    रिटेंशन अवॉर्ड

    बोनस को रिटेंशन अवॉर्ड के तौर पर तैयार किया गया था, जो पांच साल में सालाना दिए जाने थे। इसके लिए ज्यादातर कर्मचारियों को पूरी रकम पाने के लिए कंपनी में बने रहना जरूरी था। वॉकर ने कहा कि यह शर्त कंपनी के बिकने के बाद संचालन को स्थिर रखने के लिए बहुत जरूरी थी। यह पैसा सिर्फ एक तोहफा नहीं था, बल्कि यह उन कर्मचारियों के प्रति आभार था जिन्होंने कंपनी को मुश्किल समय में संभाले रखा।

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