सामान्य गोचर ज्योतिष सिद्धांत के अनुसार बृहस्पति एक राशि में लगभग 12 महीने यानी लगभग एक वर्ष रहते हैं, परंतु अतिचारी गति के कारण कर्क राशि में 2 जून के प्रवेश के बाद बृहस्पति 31 अक्टूबर 2026 को कर्क राशि को छोड़कर सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। 2026 में बृहस्पति का मिथुन, कर्क और सिंह, तीन राशियों में गोचर बहुत लोगों का भाग्य बदल देगा, 12 राशियों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। गोचर में बृहस्पति देवता जब किसी की जन्म राशि से चतुर्थ, अष्टम एवं द्वादश भाव में गोचर करते हैं, तो वह समय उसे व्यक्ति के लिए कष्टप्रद होता है।
मिथुन राशि में जब तक देवगुरु बृहस्पति हैं, तब तक मीन राशि के लिए गोचर के बृहस्पति चतुर्थ हैं, वृश्चिक राशि के लिए गोचर के बृहस्पति अष्टम हैं और कर्क राशि के लिए गोचर का बृहस्पति द्वादश भाव में कष्टप्रद है।
इसी प्रकार से जब बृहस्पति देवता कर्क राशि में अपनी स्वयं की उच्च राशि में 2 जून 2026 में आएंगे तो गोचर ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार मेष राशि से चतुर्थ, धनु राशि से अष्टम एवं सिंह राशि से द्वादश भाव में गोचर के कारण इन राशियों को संघर्ष एवं कष्ट की अधिकता का सामना करना पड़ेगा।
31 अक्टूबर से जब देवगुरु बृहस्पति सिंह राशि में गोचर करेंगे तो वृष राशि से चतुर्थ, मकर राशि से अष्टम और कन्या राशि से द्वादश भाव में होकर इन राशियों को संघर्ष की अधिकता देंगे।
अगर जन्मपत्री में ग्रहदशा अच्छी चल रही है तथा जन्मपत्री में शुभ योग हैं एवं अन्य ग्रहों का गोचर शुभ है तो अशुभ स्थान पर देवगुरु बृहस्पति का संचार अधिक पीड़ा नहीं देगा, फिर भी जिनकी जन्मपत्री में बृहस्पति गोचर के अनुसार अशुभ फलदायी हो, तो उस काल अवधि में उन्हें देवगुरु बृहस्पति से संबंधित उपाय कर सावधानी रखनी चाहिए।














