कार्यकर्ताओं से कहा- बैठक में पहुंचें
Azad Hind की एक रिपोर्ट के अनुसार कांग्रेस पार्टी ने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया है कि विकसित भारत जी राम जी कानून पर जागरूकता के लिए केंद्र सकार की पहल पर ग्राम सभाओं की जो बैठक होने वाली है,पार्टी कार्यकर्ता वहीं जाकर नए कानून से जुड़ी कथित ‘गलत जानकारियों’ का पर्दाफाश करेंगे। कांग्रेस पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा है कि सरकार की ओर से आयोजित हो रही ग्राम सभाओं की बैठक में बड़ी संख्या में शामिल हों। केंद्र सरकार ने शुक्रवार से इन बैठकों का आयोजन किया है। इस बैठक का मकसद ‘वी-बी जी राम जी कानून’ के बारे में जागरूकता फैलाना है।
नए कानून का ‘पोल खोलने’ को कहा
कांग्रेस की ओर से यह निर्देश पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रदेश इकाइयों को दिए हैं,जिसमें कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे गांव वालों के सामने नए कानून से जुड़े तथ्यों को रखें और अच्छे से बताएं इसकी वजह से ‘काम के अधिकार’ को बजट नियंत्रित योजना में बदल दिया गया है और एक तरह से मांग आधारित कार्यक्रम को खत्म कर दिया गया है, जो कि (मनरेगा) 20 साल से ज्यादा समय से गरीबों और वंचितों के लिए लाइफलाइन बनी हुई थी।
‘गांव वालों को गुमराह करने का मंच’
कांग्रेस मनरेगा की जगह नया कानून बनाने की वजह से बीजेपी सरार का विरोध कर रही है और इसका नाम बदले जाने पर इसे गांधी विरोधी बता रही है। कांग्रेस के निर्देश में ग्राम सभाओं की बैठक बुलाने को लेकर कहा है,यह ‘नए कानून को गरीबों के हित वाला बताकर ग्रामीण मजदूरों और लाभार्थियों को गुमराह करने का मंच’ है।
नए कानून पर जागरूकता की बैठक
बता दें कि मनरेगा हटाकर उसकी जगह विकसित भारत जी राम जी कानून बनाए जाने पर विपक्ष के भारी विरोध को देखते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालयों के सचिव क्रमश: सैलेश कुमार सिंह और विवेक भारद्वाज की अगुवाई में राज्यों को शुक्रवार को ग्राम सभा आयोजित करने के लिए लिखा गया है, ताकि ग्रामीणों खासकर अनुसूचित जाति और अनसूचित जनजाति परिवारों और महिलाओं को नए कानून की विशेषताओं से अवगत कराया जा सके।
मनरेगा की जगह आया है नया कानून
बता दें कि हाल ही में संपन्न हुए संसद सत्र के माध्यम से मोदी सरकार मनरेगा की जगह यह नया कानून लेकर आई है। विपक्ष इस कानून के नाम पर आपत्ति कर रहा है, जिसमें महात्मा गांधी का नाम नहीं है और दूसरा, सरकार पर इस बात पर भड़का है कि इसमें वित्तीय भार का कुछ हिस्सा राज्यों के कंधों पर भी डाला गया है।















