ऑस्टिन में है सैमसंग की फैक्ट्री
‘द एलेक’ की रिपोर्ट (ref.) बताती है कि सैमसंग बहुत जल्द अपने ऑस्टिन प्लांट में कॉम्प्लिमेंट्री मेटल-ऑक्साइड-सेमीकंडक्टर (CMOS) इमेज सेंसर, जिन्हें CIS भी कहते हैं, उन्हें बनाने के लिए प्रोडक्शन इक्विपमेंट लगाएगी। सैमसंग ने इस फैक्ट्री के लिए जॉब भी निकाली है।
ऐपल ने क्यों चला यह दांव?
सवाल है कि आखिर ऐपल क्यों सैमसंग के सेंसरों का इस्तेमाल करने वाली है। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक ऐपल के लिए जरूरी सेंसर सिर्फ जापान में बनते थे। सैमसंग का अमेरिका में प्रोडक्शन शुरू होने से ऐपल को एक नया ऑप्शन मिल सकता है। इससे सप्लाई चेन बेहतर होगी और हाे सकता है कि भविष्य में आईफोन्स की कीमतों पर भी इसका असर दिखे। कॉस्ट में जितनी कमी आएगी, उसका फायदा ग्राहकों को दिया जा सकता है। इसके अलावा, किसी एक देश में ऐपल की निर्भरता कम होगी और अमेरिका की इकॉनमी को भी इससे बूस्ट मिलेगा।
किन फोन्स में लगेंगे सैमसंग कैमरा सेंसर
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि सैमसंग के कैमरा सेंसरों को ऐपल की आईफोन सीरीज के किन मॉडलों में इस्तेमाल किया जाएगा। कहा जाता है कि आईफोन 18 और आईफोन 18ई , जिन्हें 2027 की शुरुआत में लाया जा सकता है, उनमें सैमसंग कैमरा सेंसर मिल सकते हैं। वहीं, 9to5गूगल की एक रिपोर्ट (ref.) कहती है कि शायद कंपनी इन्हें सिर्फ प्रो मॉडल में इस्तेमाल करे, क्योंकि ये महंगे सेंसर होते हैं।
कौन सा कैमरा सेंसर, उपयोग क्या?
जिन कैमरा सेंसरों को अमेरिका में तैयार किया जाना है, उन्हें सैमसंग CIS कहा जाता है। इनमें वेफर-टू-वेफर हाइब्रिड बॉन्डिंग (wafer-to-wafer hybrid bonding) तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इन सेंसरों की बड़ी खूबी है कि फोटोज में नॉइज कम आता है और पिक्सल साइज भी छोटा रहता है। ऐसी उम्मीद है कि अगले साल मार्च तक इन कैमरा सेंसरों का प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा।















