रती जिन्ना ने धर्म, समाज और पारिवारिक बंधनों को तोड़कर मोहम्मद अली जिन्ना से शादी की थी। लेकिन इस शादी से उन्हें सिर्फ दर्द मिला और उनकी जिंदगी रहस्यमयी अंत की तरफ मुड़ गई। आज भी इतिहास के पन्नों में उनके दुखत अंत को लेकर कई चर्चाएं हैं और हर चर्चा के अंत में एक सवाल, जिसका जवाब नहीं मिल पाता है, वो ये कि क्या रती जिन्ना ने आत्महत्या की थी?
जिन्ना से शादी करने वाली रती जिन्ना कौन थीं?
रती पेटिट, तत्कालीन बॉम्बे के एक बेहद अमीर और प्रतिष्ठित पारसी परिवार से ताल्लुक रखती थीं। उनकी मोहम्मद अली जिन्ना से पहली मुलाकात 1916 में दार्जिलिंग में हुई थी। उस वक्त रती सिर्फ 16 साल की थीं और जिन्ना की उम्र उस वक्त 40 साल की थी। दोनों के उम्र में 24 सालों का बड़ा फासला था। बीच में धर्म की दीवार थी और चारों तरफ सामाजिक बंदिशें थीं। इन सबके बावजूद दोनों एक-दूसरे के करीब आए। इतिहासकार शीला रेड्डी ने अपनी किताब ‘मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना: द मैरिज डेट शॉक इंडिया’ में लिखा है कि जिन्ना ने बेहद सोच-समझकर रती के पिता सर दिनशॉ पेटिट से उनकी बेटी से शादी के लिए हाथ मांगा था। शुरूआत में जिन्ना की काफी ज्यादा उम्र और अलग अलग धर्म का होने की वजह से सर दिनशॉ पेटिट ने अपनी बेटी का हाथ देने से साफ इनकार कर दिया।
लेकिन रती, मोहम्मद अली जिन्ना से शादी करने के लिए अड़ गईं। आखिरकार पिता को बीच से हटना पड़ा, क्योंकि नौबत कानून धमकियों तक पहुंच गई थी। 19 अप्रैल 1918 को रती ने इस्लाम धर्म को अपना लिया और अपना नया नाम मरियम रखा। दोनों ने इसी दिन शादी कर ली। जिस वक्त दोनों की शादी हुई, उस वक्त रती की उम्र 18 साल और जिन्ना की उम्र 42 साल थी। शादी के कुछ समय तक तो सबकुछ ठीक रहा, लेकिन जल्द ही दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गये। जिन्ना राजनीति की वजह से अकसर घर से बाहर रहते थे, जबकि रती अकेलेपन से जूझने लगी थीं।
रती जिन्ना: अकेलेपन ने अंदर से कर दिया खोखला
जिन्ना मुस्लिमों के लिए अलग देश बनाने की मांग में इतने मशगूल हो गये कि परिवार पीछे छूट गया। इस दौरान रती जिन्ना धीरे धीरे मानसिक अवसाद से जूझने लगीं। जिन्ना अपनी पत्नी का ख्याल नहीं रख रहे थे। सिर्फ दो सालों में ही, 1920 आते आते रती जिन्ना मानसिक तौर पर बुरी तरह टूट गईं। उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ने लगी। अवसाद और अकेलापन ने उन्हें नशे की दुनिया में धकेल दिया। जो रती जिन्ना कला, साहित्य और सामाजिक जीवन में काफी दिलचस्पी रखती थीं, वो शराब में डूब गईं। उनका शरीर बुरी तरह से खराब हो गया। उनकी तबीयत लगातार खराब रहने लगीं और अंत में अंजाम काफी भयानक हुआ।
20 फरवरी 1929 को सिर्फ 29 साल की उम्र में रती की दर्दनाक मौत हो गई। उनकी मौत की आधिकारिक वजह आंतों में इन्फेक्शन बताया गया, लेकिन कई समकालीन इतिहासकारों ने रती जिन्ना की मौत को आत्महत्या कहा था। उनकी बेटी दीना जिन्ना ने भी कुछ संकेत दिए थे कि उनकी मां ने जान दी थी। शीला रेड्डी ने लिखा है कि रतीकी मौत का मोहम्मद अली जिन्ना पर भी काफी असर पड़ा और उन्हें नींद के लिए गोलियां खानी पड़ती थी। उस दौरान रती जिन्ना ने एक मोहम्मद अली जिन्ना को एक खत लिखा था, जिससे पता चलता है कि रती कितनी दर्द में थीं।
रती जिन्ना के दर्दनाक खत में क्या लिखा था?
रती जिन्ना ने खत में लिखा था कि “मुझे उस फूल की तरह याद रखना मेरे प्यार, जिसने तुमने तोड़ा, न कि उस फूल की तरह, जिसे कुचल दिया।” रती की मौत के बाद, जिन्ना, जो पहले से राजनीति में काफी व्यस्त रहते थे, वो 1931 में अपनी बेटी दीना और बहन फातिमा के साथ मुंबई छोड़कर चले गए। वह लंदन चले गए, जहां वह 1947 में भारत के बंटवारे तक रहे। भारत छोड़ने से पहले, जिन्ना रती की कब्र पर गए थे। रती की दुखद मौत आज भी एक रहस्य है। कुछ लोगों का मानना है कि अकेलेपन के बोझ को वो संभाल नहीं सकीं तो कुछ लोगों का ये भी कहना है कि रती का अपने परिवार को छोड़ना भावनात्मक तौर पर उनके लिए अभिशाप बन गया था।















