सैमसंग से आगे निकल गई थी चीनी कंपनी
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट (Ref.) के मुताबिक, चीनी कंपनी CXMT साल 2016 में बनी थी। उस समय सैमसंग दुनिया की एकमात्र कंपनी थी जो 10 नैनोमीटर डीआरएएम चिप्स बड़े पैमाने पर बना रही थी। CXMT बनते ही सैमसंग में काम करने वाले अहम लोगों को नौकरी का लालच दिया और उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया। आरोप है कि इन कर्मचारियों ने सैमसंग की गोपनीय जानकारी CXMT को पहुंचाई जिससे चीनी कंपनी को कोरियाई कंपनियों से आगे निकलने में मदद मिली। जांच में पता चला कि ये लोग फर्जी कंपनियां बनाकर और जगह बदलकर काम करते थे ताकि पकड़े न जाएं।
लीक हुई तकनीक से चीन को फायदा
इस लीक जानकारी की वजह से CXMT ने 2023 में चीन की पहली 10 नैनोमीटर डीआरएएम चिप बनाई। चोरी की तकनीक ने कंपनी को 2024 में एचबीएम2 मेमोरी चिप्स बड़े पैमाने पर बनाने में मदद की। बाजार की रिपोर्ट्स बताती हैं कि CXMT इस खास मेमोरी के बाजार का 15 प्रतिशत हिस्सा घेरना चाहती है। इससे सैमसंग जैसी बड़ी कंपनी को सीधी टक्कर मिल रही है।
फाइल कैसे कॉपी की गई थी?
चिप कंपनियां अपनी डेटा की बहुत सुरक्षा करती हैं इसलिए फाइल कॉपी करना या फोन से फोटो लेना मुश्किल था। इसलिए एक पूर्व कर्मचारी ने 12 पेज की महत्वपूर्ण जानकारी हाथ से लिखकर कॉपी की। जांच में सामने आया कि ये लोग आपात स्थिति के लिए कोड लैंग्वेज का इस्तेमाल करते थे और मानते थे कि सीक्रेट एजेंसी उन पर नजर रखे हुए है।
पहले भी सामने ये ये मामले
यह पहली बार नहीं है जब कोरियाई टेक कर्मचारियों को चीनी कंपनियों को जानकारी देने के आरोप में पकड़ा गया है। इस साल की शुरुआत में एक कंपनी के पूर्व कर्मचारी को चीन जाने से पहले एयरपोर्ट पर पकड़ा गया। एक अन्य इंजीनियर को हुआवई को जानकारी बेचने की कोशिश के लिए 18 महीने की जेल हुई। 2024 में भी सैमसंग के दो पूर्व अधिकारियों को चीन में चिप फैक्टरी बनाने के लिए गोपनीय जानकारी चुराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।














