गूगल पर लोकप्रियता और वर्ल्ड रिकॉर्ड की झड़ी
हैरानी की बात यह रही कि साल 2025 में गूगल पर किसी भी भारतीय क्रिकेटर को विराट कोहली या रोहित शर्मा से ज्यादा नहीं खोजा गया, बल्कि लोग मोतिहारी के इस बाएं हाथ के बल्लेबाज के बारे में जानने को बेताब दिखे। वैभव की इस लोकप्रियता की वजह उनका मैदान पर अविश्वसनीय प्रदर्शन था। उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ महज 84 गेंदों में 190 रनों की तूफानी पारी खेली, जिसमें 16 चौके और 15 छक्के शामिल थे। इस धमाकेदार प्रदर्शन के साथ ही उन्होंने पाकिस्तान के जहूर इलाही का 39 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया और लिस्ट-ए क्रिकेट के इतिहास में शतक बनाने वाले दुनिया के सबसे युवा खिलाड़ी बन गए।
भविष्य के स्टार हैं वैभव
रिकॉर्ड्स का वैभव के साथ गहरा नाता रहा है; उन्होंने 12 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में डेब्यू कर भारत के सबसे युवा प्रथम श्रेणी क्रिकेटर होने का गौरव हासिल किया था। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया अंडर-19 के खिलाफ 58 गेंदों में शतक जड़कर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी धमक दिखाई। लगातार दो अंडर-19 एशिया कप में भारतीय टीम का मुख्य चेहरा रहे वैभव ने यूएई के खिलाफ भी 32 गेंदों में शतक जड़कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। आज वैभव सूर्यवंशी न केवल भारतीय क्रिकेट का भविष्य माने जा रहे हैं, बल्कि वे देश के करोड़ों युवाओं के लिए एक ऐसी प्रेरणा बन चुके हैं जो सिखाती है कि अगर काबिलियत हो, तो उम्र महज एक संख्या बनकर रह जाती है। वैभव से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मुलाकात की है। यह अवॉर्ड उन्हें देश की राष्ट्रपति ने दी है।















