हाइपरलूप यात्रा में आएगी क्रांति
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एक्सेलेरेशन टेक्नोलॉजी का यह टेस्ट हाइपरलूप यात्रा में भी क्रांति ला सकता है। हाइपरलूप वैक्यूम-सील्ड ट्यूब होते हैं, जिन्हें भविष्य की यात्रायों के लिए विकसित किया जा रहा है। इसे स्पीड हासिल करने की क्षमता और हाई-पावर कंट्रोल करने दोनों के लिए एक बड़ी घटना माना जा रहा है। मैगलेव ट्रेन संचालन में वर्तमान में दो ही देश अग्रणी हैं, जिनमें चीन के अलावा जापान का नाम शामिल है।
अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैगलेव टेक्नोलॉजी में लंबी छलांग
CCTV की रिपोर्ट के अनुसार, “मैगलेव का यह टेस्ट अल्ट्रा-हाई-स्पीड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रोपल्शन, इलेक्ट्रिक सस्पेंशन गाइडेंस, ट्रांजिएंट हाई-पावर एनर्जी स्टोरेज इनवर्जन, और हाई-फील्ड सुपरकंडक्टिंग मैग्नेट सहित मुख्य तकनीकी चुनौतियों को हल कर सकता है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि यह उपलब्धि चीन को अल्ट्रा-हाई-स्पीड मैगलेव टेक्नोलॉजी में अग्रणी बनाती है। इसके अलावा इससे चीन को भविष्य के वैक्यूम-पाइपलाइन मैगलेव या “हाइपरलूप” ट्रांसपोर्ट में बड़ी मदद मिल सकती है।
अंतरिक्षयान की लॉन्चिंग में भी मिलेगी मदद
विशेषज्ञों का कहना है कि यह इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एक्सेलेरेशन टेक्नोलॉजी टेस्ट अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने के तरीके को भी बदल सकता है। उनका कहना है कि इस तरह का इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रोपल्शन, टेक-ऑफ में मदद करके रॉकेट और विमान के ईंधन के इस्तेमाल को कम कर सकता है, जिससे लॉन्च स्टेज में लागत में कमी आएगी। यह स्पेशल उपकरणों के परीक्षण के लिए अल्ट्रा-हाई-स्पीड उड़ान के ग्राउंड-बेस्ड सिमुलेशन को भी अंजाम दे सकता है।
इसी यूनिवर्सिटी ने बनाई थी चीन की पहली मैगलेव ट्रेन
तीस साल पहले, इसी यूनिवर्सिटी ने चीन की पहली मानवयुक्त सिंगल-बोगी मैगलेव ट्रेन विकसित की थी। इससे चीन मैगलेव ट्रेन टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने वाला दुनिया का तीसरा देश बन गया था। CCTV की रिपोर्ट में बताया गया है कि नेशनल यूनिवर्सिटी ऑप डिफेंस टेक्नोलॉजी के रिसर्चर्स ने इस प्रोजेक्ट में 10 साल का समय लगाया है। जनवरी में, इसी टीम ने उसी टेस्ट लाइन पर 648 किमी/घंटा की टॉप स्पीड हासिल की थी।















