टाटा ने कई ऐसे फैसले लिए जो मील का पत्थर साबित हुए। इसमें सबसे बड़ा और अहम फैसला लग्जरी कार कंपनी जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) का अधिग्रहण माना जाता है। यह टाटा मोटर्स की ओर से वर्ष 2008 में रतन टाटा के नेतृत्व में फोर्ड मोटर से 2.3 अरब डॉलर में किया गया था। इसे रतन टाटा का फोर्ड मोटर से बदला माना जाता है, क्योंकि 1999 में टाटा मोटर्स के पैसेंजर वाहन सेगमेंट को फोर्ड मोटर ने खरीदने से मना कर दिया था। इस दौरान फोर्ड के एक अधिकारी ने रतन टाटा को कहा था कि जब आपको कार बिजनेस का ज्ञान ही नहीं था, तो आपने इस सेगमेंट में क्यों एंट्री की। अगर हम इसे खरीद लेते हैं तो यह आप पर एहसान होगा।
स्मृति शेष: रतन टाटा ने ऐसे लिया था फोर्ड से बदला, चूं भी नहीं कर पाई थी विदेशी कंपनी
टाटा का बदला
इसने रतन टाटा को गहरी चोट पहुंचाई और उन्होंने अपनी कार को बेहतर बनाने की दिशा में काम किया। इसके नौ साल बाद 2008 में जब फोर्ड मोटर वित्तीय संकट का सामना कर रही थी, जब टाटा मोटर्स की ओर से फोर्ड मोटर से जगुआर लैंड रोवर को खरीदा गया। उस समय फोर्ड ने कहा कि जेएलआर को खरीद कर आपने हमें राहत दी है।
रतन टाटा को देश की सबसे अफोर्डेबल कार नैनो का जनक माना जाता है। देश में आम लोगों तक कार पहुंचाने के लिए नैनो का आइडिया भी रतन टाटा का ही था। रतन टाटा की ओर से नैनो को केवल एक लाख रुपए की कीमत में 2008 में लॉन्च किया गया था। हालांकि, यह कार इतनी सफल नहीं हुई। 2012 में इसकी अधिकतम 74,527 यूनिट्स की बिक्री हुई। बाद में कम बिक्री के कारण इसका उत्पादन 2018 में बंद कर दिया गया था।
Ratan Tata News:मेहनत और संकल्प की मिसाल थे… जीवन में सफल कैसे होते हैं कोई रतन टाटा से सीखे
एयर इंडिया का अधिग्रहण
रतन टाटा के मार्गदर्शन में ही टाटा ग्रुप की ओर से 2022 में सरकारी एयरलाइन एयर इंडिया का अधिग्रहण किया गया था। यह अधिग्रहण 18,000 करोड़ रुपए में किया गया था। टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को नया जीवन दे दिया है। मौजूदा समय में एविएशन मार्केट में एयर इंडिया ग्रुप का मार्केट शेयर 27 प्रतिशत के आसपास है। देश की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी है। मौजूदा समय में टाटा ग्रुप की एविएशन कंपनी ने बोइंग और एयरबस जैसे एयरलाइन कंपनियों को 500 से अधिक विमानों का ऑर्डर दिया है।
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कंज्यूमर टेलीकॉम में प्रवेश किया। उनकी कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज और जापानी कंपनी एनटीटी डोकोमो ने मिलकर नवंबर 2008 में टाटा डोकोमो को लॉन्च किया। अपने कम ट्रैरिफ के कारण टाटा डोकोमो तेजी से भारतीय बाजार में लोकप्रिय हो गया। हालांकि, लगातार नुकसान के कारण एनटीटी डोकोमो इस संयुक्त उपक्रम से बाहर हो गया। फिर 2017 में कंपनी ने अपने ऑपरेशन बंद कर दिए और कारोबार का भारती एयरटेल द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।
रतन टाटा क्यों कभी अरबपतियों की सूची में नहीं आए नजर? सादगी और ईमानदारी से बनाई अलग पहचान
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने टाटा एडवांस सिस्टम लिमिटेड (टीएएसएल) के माध्यम से 2007 में रक्षा क्षेत्र में प्रवेश किया। यह रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने वाली शुरुआती निजी कंपनियों में से एक थी। रतन टाटा का पिछले साल 9 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया था। आज टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू 445 बिलियन डॉलर से ज्यादा है जो कि पाकिस्तान की कुल जीडीपी से भी ज्यादा है।













