CNN-News18 ने सीनियर डिप्लोमैटिक के हवाले से दावा किया है कि पीएम नरेंद्र मोदी को भाई कहने वाले शेख मोहम्मद बिन जायदका पाकिस्तान आना एक निजी यात्रा थी। वह राजकीय कार्यक्रम के तहत नहीं आए थे। इसलिए उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात नहीं की। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ भी उनकी एक छोटी मुलाकात रावलपिंडी के नूर खान एयरबेस पर ही हुई।
ना कोई समझौता, ना डील
रिपोर्ट के मुताबिक, यूएई के राष्ट्रपति की पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ मीटिंग महज चार से पांच मिनट चली। यह शिष्टाचार बैठक तक ही सीमित रही, जिसमें हालचाल जानने और फोटो लेने तक बातें सीमित रहीं। इस दौरान कोई औपचारिक द्विपक्षीय बातचीत नहीं हुई। किसी मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग यानी एमओयू या समझौते पर बात नहीं हुई।
शहबाज शरीफ ने शेख मोहम्मद बिन जायद के स्वागत में काफी उत्साह दिखाया लेकिन सामने से उनको बहुत ज्यादा सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। यहां तक कि यूएई के प्रेसिडेंट ने इस्लामाबाद चलने का न्योता ठुकरा दिया। हालांकि यूएई के राष्ट्रपति ने असीम मुनीर के एक पारिवारिक कार्यक्रम में कुछ घंटे का वक्त बिताया। यानी उन्होंने सरकार से ज्यादा सेना प्रमुख को अहमियत दी।
रावलपिंडी से गए रहीम यार खान
असीम मुनीर के परिवार के किसी निजा कार्यक्रम में कुछ घंटे रहने के बाद वह अपने निजी कार्यक्रम में रहीम यार खान चले गए। जहां उनका शिकार खेलने और दूसरे निजी कार्यक्रम होने बताए गए। इस कार्यक्रम से पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कई समझौते होने का संकेत दिया गया था। हालांकि ऐसा नहीं हो सका। सरकार के लोगों से भीयूएई प्रेसिडेंट ने ज्यादा बातचीत नहीं की।
यूएई के राष्ट्रपति ने अपनी इस यात्रा के दौरान जिस तरह से पाकिस्तान के नेताओं की अनदेखी की। वह पाकिस्तान के लिए बेइज्जती का सबब बन रहा है। पाकिस्तान की मीडिया में सरकार से सवाल पूछा जा रहा है कि नहयान के जिस दौरे का इतना हौवा बनाया गया, उन्होंने तो इस्लामाबाद आना तक मुनासिब नहीं समझा। फिर आपकी विदेश नीति की दुनिया में हैसियत क्या है।













