बिना लाइसेंस शुरू कर दिया था काम
Rnz की रिपोर्ट (ref.) के अनुसार, स्टारलिंक ने पापुआ न्यू गिनी में अपनी सेवाओं को शुरू कर दिया था, लेकिन उसे सरकार से मंजूरी नहीं मिली थी। हैरानी की बात है कि देश में स्टारलिंक के टार्मिनल बिक रहे थे। उन्हें इंस्टॉल किया जा रहा था और सब्सक्रिप्शन लिए जा रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, वहां की नेशनल इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशंस टेक्नोलॉजी अथॉरिटी (NICTA) ने एक सप्ताह पहले स्पेसएक्स को पापुआ न्यू गिनी में अपने सेवाएं बंद करने का आदेश दिया था।
कोर्ट में भी पहुंचा है मामला
पापुआ न्यू गिनी का ओम्बड्समैन कमीशन (OC) साल 2024 से स्टारलिंक को देश में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं चालू करने से रोक रहा है। वह स्टारलिंक की सेवाओं की विश्वसनीयता पर सवाल कर रहा है। यह मामला कोर्ट में भी पहुंचा है। कोर्ट में मामला लंबित है और फैसला स्टारलिंक के पक्ष में आता है तब वहां सेवाएं शुरू हो सकती हैं।
लोग चाहते हैं, स्टारलिंक आए
रिपोर्ट के अनुसार, पापुआ न्यू गिनी के लोग चाहते हैं कि देश में स्टारलिंक की सेवाएं चलें। वहां एक याचिका पर 200 लोगों ने साइन किए हैं। हालांकि सरकार इस मामले पर कुछ नहीं बोल रही, क्योंकि मामला कोर्ट में है। वहीं, कंपनी का कहना है कि वह देश में सैटेलाइट इंटरनेट लाना चाहती है क्योंकि इससे घरों, बिजनेसेज, स्कूलों और उन इलाकों के लोगों को फायदा होगा, जहां इंटरनेट नहीं है।
छोटे देशों के लिए मददगार हो रहा सैटेलाइट इंटरनेट
पापुआ न्यू गिनी का मामला छोड़ दें, तो सैटेलाइट इंटरनेट ने कई छोटे देशों को मुश्किल वक्त में कनेक्टिविटी पहुंचाई है। करीब ढाई साल पहले टाेंगा में एक ज्वालामुखी के फटने से समुद्र के नीचे इंटरनेट केबल्स टूट गई थीं और आसपास के तमाम इलाके कनेक्टिविटी से वंचित हो गए थे। तब स्टारलिंक ने अपनी सर्विसेज को वहां चालू करके लोगों की मदद की थी।
भारत में क्या है स्थिति
भारत में काफी समय से स्टारलिंक की सेवाएं शुरू होने का इंतजार किया जा रहा है। सरकार ने जरूरी मंजूरी दे दी है। कुछ दिनों पहले स्टारलिंक की वेबसाइट पर भारत के लिए रिचार्ज प्लान और किट की कीमत लाइव हुई थी। बाद में कंपनी ने कहा कि वेबसाइट में ग्लिच के कारण ऐसा हुआ। उम्मीद की जा रही है कि कंपनी अगले साल देश में अपनी सेवाओं को शुरू कर सकती है।















