ताहा सिद्धीकी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि “बिलावल भुट्टो पर शर्म आती है कि उन्होंने अपनी माँ बेनजीर भुट्टो की पुण्यतिथि का इस्तेमाल GHQ (पाकिस्तान सेना का हेडक्वार्टर) के भारत विरोधी नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए किया। क्या यह पाकिस्तान आर्मी के सामने अपनी साख चमकाने (बूट पॉलिश) के लिए है, जिसने असल में उनकी मां को मारा था? कितनी शर्म की बात है!!!”
बिलावल भुट्टो ने की पाकिस्तान सेना की बूट पॉलिस!
बिलावल भुट्टो ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि “पाकिस्तान को जो जीत हासिल हो चुकी है, उसे अभी तक भारत हजम नहीं कर पा रहा है। हमारे फील्ड मार्शल का नाम सुनते ही मोदी चुप हो जाते है।” उन्होंने इमरान खान और उनकी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि “ये जो सेना को गाली दी जाती है, ये सियासत के दायरे में नहीं होते हैं। सोचिए कैसा होता अगर जब मुझे NAB का नोटिस मिलता था, आसिफ अली जरदारी को गिरफ्तार किया जाता था, तो मैं आपने कहता कि कोर कमांडर के घर पर हमला करें। हमारे डिफेंस बेस पर हमला करें तो क्या आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई होती या नहीं। जुल्फीकार अली भुट्टो को फांसी पर चढ़ाया गया, लेकिन हमने सियासी विरोध किया और इसीलिए बेनजीर भुट्टो प्रधानमंत्री बनीं।”
आपको बता दें कि जिस पाकिस्तानी सेना के कसीदे बिलावल पढ़ रहे हैं, उसी पर उनकी मां के हत्या के आरोप हैं। पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की 27 दिसंबर 2007 को हत्या कर दी गई थी। जिसमें पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा प्रतिष्ठान की भूमिका पर सवाल उठते रहे हैं। बेनजीर भुट्टो की पाकिस्तान वापसी के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सीधे सेना और इंटर-सर्विसेज़ इंटेलिजेंस (ISI) के नियंत्रण में थी, इसके बावजूद उनकी सुरक्षा में गंभीर चूक सामने आई। हत्या के तुरंत बाद घटनास्थल को धो दिए गये, ताकि सबूत मिटा दिए जाएं। जिस पर सेना और तत्कालीन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की तीखी आलोचना हुई। संयुक्त राष्ट्र की जांच रिपोर्ट (2010) ने भी निष्कर्ष निकाला कि पाकिस्तानी राज्य, विशेष रूप से सुरक्षा एजेंसियां, बेनजीर को पर्याप्त सुरक्षा देने में नाकाम रहीं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि जांच को जानबूझकर बाधित किया गया।














